Tuesday, 14 September 2021

गुरु-चरणों में आश्रय ---

 अपनी इस अति-सीमित और अत्यल्प बुद्धि से कुछ भी मुझे समझ में नहीं आता। मुझे न तो कोई शास्त्रों की समझ है, और न कुछ ज्ञान। हृदय में एक गहन अभीप्सा थी जिसने श्रीगुरु चरणों में आश्रय दिला ही दिया। इस जीवन की यही एकमात्र उपलब्धि और एकमात्र स्थायी निधि है।
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प्रातःकाल उठते ही सर्वप्रथम ध्यान श्रीगुरुचरणों का ही होता है, रात्रि को सोने से पूर्व, और स्वप्न में भी श्रीगुरुचरण ही दिखाई देते हैं। वे ही मेरी गति हैं, अन्य कुछ भी मेरे पास नहीं है। मेरी सारी कमियाँ-खूबियाँ, दोष-गुण, बुराई-भलाई, सारा अस्तित्व, सब कुछ श्रीगुरुचरणों में अर्पित है। श्रीगुरुचरणों के दर्शन कूटस्थ में ज्योतिर्मय ब्रह्म और नाद के रूप में होते हैं। इस नश्वर देह को निमित्त बनाकर सारी साधनायें भी वे स्वयं ही करते हैं।
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इस विमान के चालक वे ही हैं, और यह विमान भी वे ही हैं।
ॐ तत्सत् !!
१२ सितंबर २०२१

 

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