अपनी बुद्धि रूपी कन्या का विवाह परमात्मा से कर के निश्चिंत हो रहा हूँ। उनसे अच्छा वर और कोई नहीं मिलेगा। दहेज में अपना मन, अहंकार व चित्त भी दे रहा हूँ।
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इस बुद्धि रूपी कन्या ने अनंतकाल तक तप, आराधना और प्रतीक्षा की है। उन
सर्वलोकेश्वरेश्वर अनाथाश्रय दयाधाम ने इस किंकरी पर द्रवित होकर यह संबंध स्वीकार कर लिया है। अपने आराध्य की आराधना से यह कन्या तो धन्य हुई ही है, साथ साथ मैं और आप सब भी धन्य हो गए हैं। ॐ तत्सत् !!
१३ सितंबर २०२१
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