Friday 23 March 2018

एक श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ आचार्य ही गुरु हो सकता है .....

एक श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ आचार्य ही गुरु हो सकता है .....
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हब सब सांसारिक मोह से ग्रस्त हैं, यही हमारे बंधनों का कारण है| इस मोह से कितना भी संघर्ष करो पर पराजय ही हाथ लगेगी| इस मोह से मुक्ति हमें परमात्मा की कृपा ही बचा सकती है| परमात्मा एक सदगुरु के रूप में हमारा मार्गदर्शन करते हैं|

श्रुति भगवती कहती है कि गुरु वही हो सकता है जो श्रौत्रीय हो यानि जिसे श्रुतियों का ज्ञान हो, और जो ब्रह्मनिष्ठ हो|
परीक्ष्य लोकान्‌ कर्मचितान्‌ ब्राह्मणो निर्वेदमायान्नास्त्यकृतः कृतेन |
तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत्‌ समित्पाणिः श्रोत्रियं ब्रह्मनिष्ठम्‌ ||
(मुण्डक. १:२:१२)

ऐसे गुरु ही हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं| ऐसे गुरु किसी न किसी परम्परा से जुड़े होते हैं| हमें मार्गदर्शन उन्हीं से लेना चाहिए|

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