Friday, 23 March 2018

समाज में भक्ति के जागरण से जाति-भेद, सम्प्रदाय-भेद और ईर्ष्या-द्वेष समाप्त हो रहे हैं ......

समाज में भक्ति के जागरण से जाति-भेद, सम्प्रदाय-भेद
और ईर्ष्या-द्वेष समाप्त हो रहे हैं ......
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एक समय था जब होली पर महिलाऐं घर से बाहर नहीं निकलती थीं| बाहर का वातावरण भी बड़ा कलुषित ... गाली-गलौच, अश्लीलता और फूहड़पन से भरा होता था| अब जब से कुछ संतों के माध्यम से परमात्मा कि कृपा हुई है, सब कुछ बदल रहा है|
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आज धुलंडी के दिन प्रातःकाल भोर में साढ़े पाँच बजे हमारे नगर में तीन स्थानों से हरि-संकीर्तन करते हुए विशाल प्रभात फेरियाँ निकलीं जिनमें मातृशक्ति की संख्या पुरुषों से चौगुनी थी|
आवासन मंडल और इंदिरानगर से निकली प्रभातफेरियाँ नगर नरेश बालाजी मंदिर के सामने एकत्र हुईं| सबके बैठने की व्यवस्था थी| सैंकड़ों महिलाएँ, कन्याएँ और अनेक पुरुष एकत्र हुए| खूब भजन-कीर्तन हुए और फिर सबने फूलों कि होली खेली| कोई रंग नहीं, सिर्फ फूल और गुलाबजल का प्रयोग| स्वामी श्री हरिशरण जी महाराज की उपस्थिति ने वातावरण को बहुत दिव्य बना दिया|
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अनेक लोग जो ईर्ष्या-द्वेषवश आपस में एक-दूसरे से बात भी नहीं करते थे, प्रेम से गले मिले| कोई जाति या सम्प्रदाय का भेदभाव नहीं| पुराने नगर से निकलने वाली प्रभातफेरी वालों ने पुराने नगर में ही फूलों की होली खेली| दस बजे खेमी शक्ति मंदिर में फूलों कि होली थी जहाँ सिर्फ चन्दन और फूलों का प्रयोग, अन्य कुछ नहीं| कल बिहारी जी के मंदिर में भी फूलों कि होली थी|
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सार कि बात यह है कि जैसे जैसे समाज में भक्तिभाव बढेगा, ईर्ष्या-द्वेष, व जातिगत भेदभाव मिटने लगेंगे| फूहड़पन, अश्लीलता और गाली-गलौच अब भूतकाल की बातें हो जाएँगी|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ मार्च २०१६

1 comment:

  1. सम्पूर्ण मातृशक्ति को नमन जिन्होंने धर्म-कर्म को जीवित रखा है ......

    कई वर्ष हो गये, सर्दी हो या गर्मी, आंधी हो या तूफान, नित्य प्रातः साढ़े पाँच बजे के आसपास कानों में हमारे पड़ोस में रहने वाली एक भक्तिमती महिला श्रीमती सुमन बाई के मधुर स्वरों में यह भजन सुनाई पड़ता है ..... "श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा|" नित्य उनके नेतृत्व में अनेक माताएँ हरिः संकीर्तन करते हुए प्रभात फेरी निकालती हैं जो हमारे घर के सामने से गुजरती है| इनकी वाणी सुनकर मन पवित्र हो जाता है| और तो मैं कर ही क्या सकता हूँ? सम्पूर्ण मातृशक्ति को नमन करता हूँ जिन्होने भगवान की भक्ति को जीवित रखा है|
    ॐ तत्सत् ||

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