Friday 23 March 2018

अंग्रेजों ने भारतीय सभ्यता को नष्ट करने के लिये .... (१) भारतीय शिक्षा पद्धति यानि गुरुकुल प्रणाली और (२) भारतीय कृषि व्यवस्था को समाप्त कर दिया ....

अंग्रेजों ने भारतीय सभ्यता को नष्ट करने के लिये ....
(१) भारतीय शिक्षा पद्धति यानि गुरुकुल प्रणाली और
(२) भारतीय कृषि व्यवस्था को समाप्त कर दिया|
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Indian Education Act बनाकर सारे गुरुकुलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया, ब्राह्मणों के सारे ग्रन्थ छीन कर जला दिए, गुरुकुलों को आग लगा कर नष्ट कर दिया, और ब्राहमणों को इतना दरिद्र बना दिया गया कि वे अपनी संतानों को पढ़ाने में भी असमर्थ हो गये| सिर्फ वे ही ग्रन्थ मूल रूप से सुरक्षित रहे जिनको ब्राह्मणों ने रट कर याद कर रखा था| ग्रंथों को प्रक्षिप्त यानी इस तरह विकृत कर दिया गया जिस से भारतीयों में ब्राह्मण विरोध की भावना और हीनता व्याप्त हो जाए| ब्राह्मणों के अत्याचार की झूठी कहानियाँ गढ़ी गयी और ब्राह्मणों की संस्था को नष्ट प्राय कर दिया| भारत पर आर्य आक्रमण का झूठा और कपोल-कल्पित इतिहास थोपा गया| भारत के हर गाँव में एक न एक गुरुकुल होता था जहाँ ब्राह्मण वर्ग अपना धर्म मान कर निःशुल्क विद्यादान करता था| उसका खर्च समाज चलाता था| वे सारे गुरुकुल बंद कर दिए गए|
भारत से जाते हुए भी अँगरेज़ भारत की सत्ता अपने मानसपुत्रों को सौंप गए जिन्होनें भारत को नष्ट करने की रही सही कसर भी पूरी कर दी|
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भारत में गायों की संख्या पुरुषों की संख्या से अधिक थी| हर गाँव में गोचर भूमियाँ थीं| सर्वप्रथम तो एक विशाल पैमाने पर गौ हत्या शुरू की गई| सबसे पहला क़साईख़ाना सन १७६० ई.में आरम्भ किया गया| फिर हज़ारों कसाईखाने खोले गए| अंग्रेजी राज में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ गायों की ह्त्या होने लगी थी| खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाले गोबर के अभाव में भूमि बंजर होने लगी|
फिर जहाँ जहाँ उपजाऊ भूमि थी वहां के किसानों को बन्दूक की नोक पर नील की खेती करने को बाध्य किया जाने लगा जिस से भूमि की उर्वरता बिलकुल ही समाप्त हो गयी|
लगान वसूली के लिए इंग्लैंड के सारे गुंडों-बदमाशों को भारत में कलेक्टर नियुक्त कर दिया जो घोड़े पर बैठकर हर गाँव में हर खेत में जाते और बड़ी निर्दयता से लगान बसूलते| किसानों पर तरह तरह के कर लगा कर उन्हें निर्धन बना दिया गया| अपने खाश खाश लोगों को जमींदार बना कर जमींदारी प्रथा आरम्भ कर अंग्रेजों ने भारत के किसानों पर बहुत अधिक अत्याचार करवाए|
सबसे अधिक अत्याचार बंगाल में हुए जहाँ कृत्रिम अकाल उत्पन्न कर के करोड़ों लोगों को भूख से मरने के लिए बाध्य कर दिया गया| नेपाल की तराई के के क्षेत्रों में भूमि बहुत अधिक उपजाऊ थी जिस पर नील की खेती करा कर भूमि को बंजर बना दिया गया| भारत अभी तक कृषि के क्षेत्र में उबर नहीं पाया है|
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देखिये अब आगे और क्या होता है| भगवान से प्रार्थना करते हैं की जो भी हो वह अच्छा ही हो|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ मार्च २०१३

2 comments:

  1. भारत की वर्तमान शिक्षा-पद्धति नपुंसक तोता-रटंत पद्धति है, इसमें कोई गहन अध्ययन नहीं है| यह शिक्षा पद्धति कोई गहन विचारक नहीं उत्पन्न कर सकती| लगभग सारी पाठ्य पुस्तकें षडयंत्रकारी वामपंथियों द्वारा लिखी जाती हैं जिनमें ब्रिटिश और जिहादी हितों का ध्यान रखा जाता है| यह शिक्षा पद्धति सिर्फ कुछ बाबू और नौकरी करने योग्य निष्क्रिय व्यक्ति ही पैदा कर सकती है, कोई वास्तविक विद्वान् नहीं| हमे सही इतिहास भी नहीं पढ़ाया जाता|
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    भारत को आवश्यकता है दूर दृष्टी वाले चिन्तक, विचारक, और मौलिक विद्वानों की| वर्तमान शिक्षा पद्धति काले अँगरेज़ पैदा कर रही है जिन्हें भारतवर्ष और उसकी संस्कृति पर अभिमान नहीं है| ये तथाकथित शिक्षित लोग भारतीय भाषा बोलने वालों को नीची दृष्टी से देखते हैं|
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    भारतीय शिक्षा पद्धति का पुनरुत्थान होना चाहिए| शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषा हो| पाणिनी की व्याकरण आज तक के मानव इतिहास में लिखी गयी विश्व की सर्वश्रेष्ठ व्याकरण है| वैदिक गणित बुद्धि का विकास करती है|
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    पढाई ऐसी हो जो उत्तम चरित्र, विचारशीलता और ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा को जागृत करे| सिर्फ रट कर या टीप कर अच्छे नम्बर लाने वाले विद्यार्थी राष्ट्र का कल्याण नहीं कर सकते|

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  2. कॉन्वेंट (Convent) स्कूल क्या होते हैं ?.....

    ब्रिटेन में बिना विवाह के उत्पन्न हुए बच्चों को व अनाथ और अति दरिद्र बच्चों को चर्च में छोड़ दिया जाता था| यह प्रथा अब भी है| जब अनाथ और नाजायज़ बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तब उन में सामाजिक संबंधों की चेतना जागृत करने के लिए कॉन्वेंट खोले गए जहाँ पादरियों को फादर, मदर व सिस्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है| इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् १६०९ में एक चर्च में खोला गया और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् १८४२ में खोला गया| आज तो भारत में ही हज़ारों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं|

    मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उसने लिखा कि ....

    “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे| इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपनी संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपने मुहावरे नहीं मालुम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”

    उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है| आगे आप स्वयं समझदार हैं, कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है|

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