Friday, 23 March 2018

परमात्मा की माया परमात्मा की एक मुस्कान मात्र है ....

(1) परमात्मा की माया परमात्मा की एक मुस्कान मात्र है,
उससे अधिक कुछ नहीं ......
(2) भारत में एक भक्ति-क्रांति का प्रारम्भ हो चुका है ...
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यह जो मैं लिख रहा हूँ, वह पूरे दावे के साथ निज अनुभव से लिख रहा हूँ कि भगवान की माया, भगवान की एक मुस्कान मात्र है, उससे अधिक कुछ नहीं| उससे कुछ भी घबराने की आवश्यकता नहीं है| वह माया जो आवरण और विक्षेप के रूप में सारी सृष्टि को नाच नचा रही है, परमात्मा कि सिर्फ एक मुस्कराहट है| यह मुस्कराहट आपको तभी लगेगी जब आप परमात्मा से प्रेम करेंगे| जितना प्रेम पूर्णता की ओर बढ़ता है, माया भी उतनी ही सहायक होती जाती है| माया का प्रभाव वहीँ है जहां लोभ, और कामनाएँ हैं|
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पाप-पुण्य .... ये सब भगवान की पीठ हैं| इन सब पाप और पुण्य की गठरी को छोड़कर इन से ऊपर उठना पडेगा| सब तरह के वाद-विवादों, सिद्धांतों, मतभेदों, विचारधाराओं, संगठनों और बंधनों से ऊपर उठकर सिर्फ परमात्मा से जुड़ना होगा| जहाँ भगवान हैं, वहाँ सब कुछ है, और जहाँ भगवान नहीं है, वहाँ सिर्फ माया है|
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एक भक्ति-क्रान्ति का प्रारम्भ भारत में हो चुका है| विशेष रूप से भारत की मातृशक्ति में| जिस मोटर साइकिल (यह भौतिक देह) पर मैं यह लोकयात्रा कर रहा हूँ वह बाइसिकल ६८ वर्ष पुरानी हो चुकी है| पिछले साठ वर्षों की तो स्पष्ट स्मृति है| पिछले साथ वर्षों में भारत में इतना भक्तिभाव नहीं था जो अब है| और यह निरंतर बढ़ता जाएगा| आध्यात्मिकता भी निरंतर बढ़ रही है| जो भी हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है| भारत में एक नया युग आने को है|

आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ मार्च २०१६

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