Friday 29 December 2017

अपनी चेतना का सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विस्तार करें .....

धारणा व ध्यान :---
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अपनी चेतना का सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विस्तार करें .....

यह सम्पूर्ण अनन्त ब्रह्माण्ड मेरा घर है, सभी प्राणी मेरे साथ एक हैं, उनका कल्याण ही मेरा कल्याण है| पूरी समष्टि के साथ मैं एक हूँ, मैं किसी से पृथक नहीं हूँ, सभी मेरे ही भाग हैं, मैं यह देह नहीं, परमात्मा की अनंतता हूँ|
सम्पूर्ण समष्टि मैं स्वयं हूँ| यह सम्पूर्ण सृष्टि, सारा जड़ और चेतन मैं ही हूँ| यह पूरा अंतरिक्ष, पूरा आकाश मैं ही हूँ| सब जातियाँ, सारे वर्ण, सारे मत-मतान्तर, सारे सम्प्रदाय और सारे विचार व सिद्धांत मेरे ही हैं|

मैं अपना प्रेम सबके ह्रदय में जागृत कर रहा हूँ| मेरा अनंत प्रेम सबके ह्रदय में जागृत हो रहा है| मैं अनंत प्रेम हूँ| मैं इस सृष्टि की की आत्मा हूँ जो प्रत्येक अणु के ह्रदय में है|

मैं स्वयं ही परम प्रेम हूँ, मैं ही परमात्मा की सर्वव्यापकता हूँ, मैं ही सभी के हृदयों में धडकता हूँ| मैं परमात्मा के साथ एक हूँ, उनमें और मुझ में कोई भेद नहीं है|

सोsहं ! शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि ! ॐ ॐ ॐ !!
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कृपया याद रखें ........ जन्म से कोई पापी नहीं है| आप पापी नहीं हैं| आप परमात्मा के दिव्य अमृत पुत्र हैं| जो परमात्मा का है वह आपका है, उस पर आपका जन्मसिद्ध अधिकार है| किसी पिता का पुत्र भटक जाए तो पिता क्या प्रसन्न रह सकता है| भगवान भी आप के दूर जाने से व्यथित हैं| भगवान के पास सब कुछ है पर आपका प्रेम नहीं है जिसके लिए वे भी तरसते हैं| क्या आप अपना अहैतुकी प्रेम उन्हें बापस नहीं दे सकते? उन्होंने भी तो आप को हर चीज बिना किसी शर्त के दी है| आप अपना सम्पूर्ण प्रेम उन्हें बिना किसी शर्त के दें|
आप भिखारी नहीं हैं| आपके पास कोई भिखारी आये तो आप उसे भिखारी का ही भाग देंगे| पर अपने पुत्र को आप सब कुछ दे देंगे| वैसे ही परमात्मा के पास आप भिखारी के रूप में गए तो आपको भिखारी का ही भाग मिलेगा पर उसके दिव्य पुत्र के रूप में जाएंगे तो भगवान अपने आप को आप को दे देंगे|
मनुष्य जीवन का लक्ष्य ही परमात्मा की प्राप्ति है| आप स्वयं को उन्हें सौंप दें, आप उनके हो जाएँ पूर्ण रूप से तो भगवन भी आपके हो जायेंगे पूर्ण रूप से| अपने ह्रदय का सम्पूर्ण प्रेम बिना किसी शर्त के उन्हें दो| ईश्वर को पाना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है|

ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
२० दिसंबर २०१७

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