Friday 12 May 2017

महा ढोंग और पाखंड ....

महा ढोंग और पाखंड ....
-------------------------
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस सेकुलरिज्म के कारण आज भारत के युवा हिन्दू अपने धर्म और संस्कृति को भूल चुके हैं|
सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में मुसलमान और ईसाई तो अपने बच्चों को अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं, इससे सेकुलरिज्म पर कोई खतरा नहीं आता|
पर जब हिन्दू अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा देना चाहें तो सेकुलरिज्म खतरे में आ जाता है, और साम्प्रदायिकता का जन्म हो जाता है|
यह एक महा ढोंग और पाखंड है|
यह एक षड्यंत्र है भारत की अस्मिता को समाप्त करने का|
भारत में युवा हिन्दू बालकों को यह भी नहीं पता कि सौलह संस्कार कौन कौन से होते है, पञ्च महायज्ञ क्या हैं, कितने दर्शन शास्त्र हैं, भक्ति क्या है, रामायण, महाभारत और गीता के उपदेश क्या हैं, आदि आदि| बालकों को यदि बाल्यकाल से ही ध्यान आदि सिखाए जाएँ तो चरित्रवान किशोरों का निर्माण होगा| पर इनकी बात करते ही सेकुलरिज्म खतरे में पड़ जाता है|
.
ऐसे ही भारत के प्राचीन कुटीर उद्योग और कृषि व्यवस्था नष्ट हो चुकी है|
भारत का मलमल कभी विश्व का सर्वश्रेष्ठ कपड़ा हुआ करता था|
भारत इतना अन्न उत्पन्न करता था कि उससे पूरे विश्व का भरण पोषण हो सकता था| पर आज हम अपने पारंपरिक बीज गंवा चुके हैं और विदेशी कंपनियों के नपुंसक बीजों पर निर्भर हो गए है| गाय के गोबर से बनी खाद भूमि को उपजाऊ रखती थी, पर आज रासायनिक खादों और कीट नाशकों से भूमि पूरी तरह बंजर हो रही है| कैंसर की बीमारी बढ़ रही है|
.
भारत को अपनी प्राचीन कृषि और शिक्षा व्यवस्था को पुनर्जीवित करना ही होगा|

No comments:

Post a Comment