Friday, 12 May 2017

समय बहुत अल्प है ......

समय बहुत अल्प है ......
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जब तक यह ज्ञान होता है कि समय बहुत अल्प है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है| करने के लिए इतने सारे काम और दुनियाँ भर के दायित्व, कर्तव्य, साध्य और साधन ! इस प्रपंच भरी उथल-पुथल में इतने अल्प समय में क्या करें और क्या ना करें ? यह एक यक्ष प्रश्न है|

जिसने यह सृष्टि बनाई है वह अपनी कृति के लिए स्वयं सक्षम और जिम्मेदार है| उसे किसी के परामर्श या सहयोग की आवश्यकता नहीं है| प्रकृति अपने नियमों के आधीन चल रही है| हमारे किन्तु-परन्तु करने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला|

इतने अल्प समय में सर्वश्रेष्ठ क्या किया जा सकता है?
इसका उत्तर स्वयं ढूँढ रहा हूँ| किसी अन्य के उत्तर से संतुष्टि नहीं मिल रही|
अब तक प्रभु की इतनी कृपा रही है कि हर इच्छा पूर्ण हुई है| जीवन में जिस भी चीज की कामना की वह अनायास स्वतः ही प्राप्त हो गयी| अब कोई इच्छा बची ही नहीं है| फिर भी प्राणों में एक गहन अभीप्सा और तड़प है| आगे का पथ भी दिखाई देने लगा है, जिसके साथ अब और कोई समझौता नहीं हो सकता|

जीवन में इतने सारे साथी मिले जिनसे इतना प्रेम और प्रोत्साहन मिला, उन सब के प्रति मैं कृतज्ञ हूँ| पर असली कृतज्ञता तो उस के प्रति है जो सब साथियों और सम्बन्धियों के रूप में आया|

करने को बहुत कुछ है पर समय बहुत कम बचा है| इस दीपक का तेल निरंतर कम होता जा रहा है|
समय बहुत अल्प है|

आप सब निजात्मगण को सादर साभार नमन ! ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
११ मई २०१४

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