Thursday 20 April 2017

यह RIP क्या है ? .....

यह RIP क्या है ?
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आजकल शोक संदेशों में RIP लिखने की एक परम्परा सी चल पडी है| मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इसका अर्थ क्या है| फिर किसी ने बताया कि RIP = Rest in peace.
पर यह तो उन्हीं पर लागु होता है जिन्हें कब्रों में दफनाया जाता है| वे कयामत तक कब्रों में शांति से आराम करेंगे
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अब्राहमिक मतों के अनुसार जिस दिन कयामत होगी उस दिन पूर्व दिशा में एक नारसिंघा बाजे की सी बड़ी जोर की आवाज़ आएगी| उस आवाज़ को सुनकर कब्रों में शांति से सो रहे इंसान जाग उठेंगे| सबकी पेशी होगी और सब से हिसाब पूछा जाएगा कि उन्होंने ज़िन्दगी में क्या क्या किया| सबको दंड और पुरष्कार मिलेंगे| विधर्मियों को नर्क की अग्नि में अनंत काल के लिए डाल दिया जाएगा| जब से दुनियाँ बनी है तब से अब तक के सारे लोगों का हिसाब होगा| पता नहीं किस का क्रम कब आयेगा| बड़ा शोरगुल होगा| बड़ी अफरा-तफरी होगी|
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पर उनका क्या होगा जिनके दाह संस्कार हुए हैं ?
अतः यह RIP उन लोगों को मत भेजिए जिनके दाह संस्कार हुए हैं|
और भी कई तरह के शोक सन्देश होते हैं| वे भेजिए पर RIP नहीं|
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उर्दू का एक बहुत पुराना शेर याद आया है जिसके अनुसार ऐसे भी लोग हैं जिन्हें क़यामत की चिंता नहीं है, वे अपनी मस्ती में सोये हुए हैं|
"हम सोते ही न रह जाएँ ऐ शोरे-क़यामत !
इस राह से निकलें तो हमको भी जगा देना |"

3 comments:

  1. मरने के बाद जीव की क्या गति होती है, इस पर बहुत सारा साहित्य उपलब्ध है, और जिसको यह अनुभव होता है वह तो बताने के लिए बापस नहीं आता| जीवन एक सतत प्रवाह है| मुझे लगता है कि अपने प्रारब्ध के अनुसार जीव तुरंत ही पुनर्जन्म ले लेता है| यात्रा चलती रहती है, कहीं भी ठहराब नहीं है|

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  2. महामहोपाध्याय पं.गोपीनाथ कविराज ने इस विषय पर खूब लिखा है | वाराणसी में उनकी बैठक में तो प्रेतात्माओं की सभा भी होती थी जिसमें वे स्वयं भी उनसे चर्चा करते थे| पर यह उनका अनुभव था, मेरा नहीं | कभी कोई अनुभव हुआ तो बताने के लिए आपको अवश्य तलाश करूँगा| श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार के स्मृति ग्रन्थ में उल्लेख है कि एक प्रेतात्मा आकर उनसे भी मिला करती थी|

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  3. दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना इसलिए करते हैं क्योंकि गरुड़ पुराण में अनेक भयावह कष्टों का वर्णन है जो जीवात्मा अपने कर्मानुसार पाती है|

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