परमात्मा का प्रियतम साकार रूप .....
जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त होने के लिए जन्म रहित परब्रह्म परमात्मा से एकाकार तो होना ही होगा| इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं है|
परब्रह्म परमात्मा का जो साकार रुप मुझे अपनी अति अल्प और अति सीमित बुद्धि से समझ में आता है वह ओंकार रूप में सच्चिदानंद परब्रह्म परमात्मा का है| ध्यान में कूटस्थ में जिस ज्योति के दर्शन होते हैं, और प्रणव नाद सुनाई देता है, वही मेरे साकार इष्ट देव हैं, वे ही जगन्माता हैं, वे ही सद् गुरु हैं|
साथ साथ सभी गुरुओं के भी भौतिक साकार रूप में भी मानसिक दर्शन होते हैं| मुझे मार्गदर्शन और ऊर्जा उन्हीं से प्राप्त होती है|
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मेरा समर्पण उन्हीं के प्रति है, मैं उनकी शरणागत हूँ| अपने मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को मैं उन्हें समर्पित करता हूँ| वे ही परमशिव हैं, वे ही विष्णु हैं, और वे ही परमब्रह्म हैं|
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आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त होने के लिए जन्म रहित परब्रह्म परमात्मा से एकाकार तो होना ही होगा| इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं है|
परब्रह्म परमात्मा का जो साकार रुप मुझे अपनी अति अल्प और अति सीमित बुद्धि से समझ में आता है वह ओंकार रूप में सच्चिदानंद परब्रह्म परमात्मा का है| ध्यान में कूटस्थ में जिस ज्योति के दर्शन होते हैं, और प्रणव नाद सुनाई देता है, वही मेरे साकार इष्ट देव हैं, वे ही जगन्माता हैं, वे ही सद् गुरु हैं|
साथ साथ सभी गुरुओं के भी भौतिक साकार रूप में भी मानसिक दर्शन होते हैं| मुझे मार्गदर्शन और ऊर्जा उन्हीं से प्राप्त होती है|
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मेरा समर्पण उन्हीं के प्रति है, मैं उनकी शरणागत हूँ| अपने मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को मैं उन्हें समर्पित करता हूँ| वे ही परमशिव हैं, वे ही विष्णु हैं, और वे ही परमब्रह्म हैं|
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आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
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