Wednesday 4 January 2017

हमारे जीवन में राग-द्वेष, लोभ, अहंकार, कामुकता और क्रोध का प्रभाव कम हो .....

हमारे जीवन में राग-द्वेष, लोभ, अहंकार, कामुकता और क्रोध का प्रभाव कम हो .....
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किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का पतन तभी होता है जब उसमें उपरोक्त अवगुण आ जाते हैं| हमारे यहाँ व्यक्तियों का, समाज का और राष्ट्र का पतन भी इसी कारण हुआ| ये हमारे शाश्वत शत्रु हैं| अनेक सद् गुण विकृतियाँ भी इन्हीं के कारण आईं| अब ये बातें हमें समझ में आ रही हैं क्योंकि कालचक्र अब ऊर्ध्वगामी है, अतः हमारी चेतना भी निश्चित रूप से ऊर्ध्वगामी होगी| आने वाला समय अच्छा, और भी अच्छा और बहुत अच्छा होगा|
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भारत पर खैबर दर्रे के मार्ग से विदेशी आतताई और आक्रान्ता आते और गाजर-मूली की तरह हमें काटकर, हमारा नरसंहार करते और हमें लूट कर चले जाते| हम यही सोचते रह जाते कि प्रतिकार और युद्ध करना सिर्फ क्षत्रिय वर्ग का काम है, बाकी समाज का नहीं| समाज ने एकजूट होकर कभी प्रतिकार नहीं किया| पूरा समाज यदि प्रतिकार करता तो भारत की ओर आँख उठाकर देखने का किसी में साहस नहीं होता|
राजा लोग इतने अहंकार और राग-द्वेष में डूब गए थे कि वे यही सोचते कि जहाँ आक्रमण हुआ है वहीं का राजा लडेगा, हम क्यों लड़ें|
स्थानीय व्यापारी वर्ग इतना लोभी हो गया था कि वे अपने अल्पकालीन लाभ के लिए आतताइयों से ही व्यापार करने लगता|
समाज का बौद्धिक वर्ग यही सोचता कि कोई भी राजा हो हमें क्या हानि है|
वैचारिक पतन इतना हो गया था कि अत्यधिक अहिंसा अहिंसा करते करते हम निर्वीर्य और कायर बन गए, आतताइयों का भी हम आतिथ्य करने लगे और उनके साथ व्यापार भी करने लगे|
स्थानीय क्षत्रिय वर्ग यदि पराजित हो जाता तो हम भी स्वयं को आक्रमणकारी आतताई के आधीन कर देते|
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भारत की आत्मा ने सदा आतताइयों का प्रतिकार किया है और दासता कभी भी स्वीकार नहीं की है, तभी आज हम जीवित हैं|
भारत में समय समय पर महान आत्माओं ने जन्म लिया और भारत को जीवित रखा है|
आने वाला समय अच्छा ही अच्छा ही होगा| अनेक महान आत्माएँ भारत में जन्म ले रही हैं| एक महान प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति भारत को फिर से ऊपर उठाकर अपने द्वीगुणित परम वैभव की स्थिति में पहुंचा देगी| पर हमें अपना काम करना होगा और वह कार्य है .... हमें अपने निज जीवन में परमात्मा को अवतरित करना ही होगा|
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हमारे जीवन का केन्द्रबिदु परमात्मा हो .... यही मेरी आप सब से प्रार्थना है| हमारे जीवन का केंद्रबिंदु परमात्मा होगा तो हमारी सब बुराइयों का नाश होगा और समस्त सद् गुण हमारे में आयेंगे|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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