Wednesday 4 January 2017

प्रार्थना .........

प्रार्थना .........
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हे माँ भगवती, महिषासुर मर्दिनी दुर्गा, भवानी, हे जगन्माता, अपनी परम कृपा और करुणा कर के भारतवर्ष और उसकी अस्मिता सत्य "सनातन धर्म" की रक्षा करो जिस पर पर इस समय मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं| अब समय आ गया है भारतवर्ष और सनातन धर्म की रक्षा करने का|
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जब सत्य सनातन धर्म ही नहीं बचेगा तो भारत राष्ट्र भी नहीं बचेगा| भारत ही नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे| हम अपने लिए अब कुछ भी नहीं माँग रहे हैं| तुम्हारा साक्षात्कार हम बाद में कर लेंगे, हमें कोई शीघ्रता नहीं है पर सर्वप्रथम भारत के भीतर और बाहर के शत्रुओं का नाश करो|
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अब समय आ गया है गीता में दिया वचन निभाने का| हे धनुर्धारी भगवान श्रीराम, हे सुदर्शन चक्रधारी भगवान् श्रीकृष्ण, शस्त्रास्त्रधारी सभी देवी-देवताओ, सप्त चिरंजीवियो, सभी अवतारो, सभी महापुरुषों, अब उस देश भारतवर्ष की, उस संस्कृति की रक्षा करो जहाँ पर धर्म और ईश्वर की सर्वाधिक और सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हुई है व जहाँ कभी आप सब भी अवतरित हुए हैं| वह राष्ट्र गत दीर्घकाल से अधर्मी आतताइयों, दस्युओं, तस्करों, और ठगों से त्रस्त है|
इस राष्ट्र के नागरिकों में धर्म समाज और राष्ट्र की चेतना, साहस और पुरुषार्थ जागृत करो|
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अब हम तुम्हारे से तब तक और कुछ भी नहीं मांगेगे जब तक धर्म और राष्ट्र की रक्षा नहीं होती|
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हे देवि! तुम्हारी जय हो| तुम समस्त शरीरों को धारण करने वाली, स्वर्गलोक का दर्शन कराने वाली और दु:खहारिणी हो| हे रोगों का नाश करने वाली देवि, तुम्हारी जय हो| मोक्ष तो तुम्हारे हाथों में है| हे मनचाहा फल देने वाली, आठों सिद्ध‍ियों से संपन्न देवि तुम्हारी जय हो|
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जय भगवति देवि नमो वरदे, जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे, जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे, जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे, जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते, जय भास्करशक्रशिरोऽवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते, जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे, जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे, जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे, जय वांछितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
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भारतमाता की जय ! वन्दे मातरं ! हर हर महादेव ! ॐ ॐ ॐ ||
ॐ तत्सत् | तत् त्वं असी | सोsहं | अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
पौष कृ.११, वि.सं.२०७२, 5/1/2016

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