हे परमशिव परमात्मा, तुम प्रसन्न हो तो सभी प्रसन्न हैं .....
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तुम मुझ पर प्रसन्न हो तो सभी प्रसन्न हैं| सारे संचित और प्रारब्ध कर्म भी तुम्हारे हैं| तुम ही कर्ता हो और तुम ही भोक्ता हो| तुम स्वयं में प्रसन्न रहो, और अन्य कुछ भी नहीं चाहिए| यह समस्त सृष्टि तुम्हारी है, तुम स्वयं ही यह सृष्टि हो| तुम्हारी मायावी आवरण और विक्षेप की शक्तियाँ निष्प्रभावी हों| तुम्हारे से कुछ भी माँगना मात्र एक दुराग्रह है| पूरा ब्रह्मांड ही तुम हो, तुम्हारे सिवा अन्य कुछ है ही नहीं| मैं तुम्हारी अनंतता और परम प्रेम हूँ| तुम्हारी पूर्णता मुझ में व्यक्त हो| ॐ ॐ ॐ ||
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ॐ तत्सत् | ॐ नमःशिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
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तुम मुझ पर प्रसन्न हो तो सभी प्रसन्न हैं| सारे संचित और प्रारब्ध कर्म भी तुम्हारे हैं| तुम ही कर्ता हो और तुम ही भोक्ता हो| तुम स्वयं में प्रसन्न रहो, और अन्य कुछ भी नहीं चाहिए| यह समस्त सृष्टि तुम्हारी है, तुम स्वयं ही यह सृष्टि हो| तुम्हारी मायावी आवरण और विक्षेप की शक्तियाँ निष्प्रभावी हों| तुम्हारे से कुछ भी माँगना मात्र एक दुराग्रह है| पूरा ब्रह्मांड ही तुम हो, तुम्हारे सिवा अन्य कुछ है ही नहीं| मैं तुम्हारी अनंतता और परम प्रेम हूँ| तुम्हारी पूर्णता मुझ में व्यक्त हो| ॐ ॐ ॐ ||
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ॐ तत्सत् | ॐ नमःशिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
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