Saturday, 12 November 2016

हमारे ह्रदय की बंजर भूमि में भी भक्ति रुपी सुन्दर सुगन्धित पुष्प खिलें .....

घोर शुष्क मरू भूमि में और पथरीली बंजर भूमि में भी मैंने सुन्दर पुष्पों को उगते, खिलते और महकते हुए देखा है | अनेक प्रयास करने पर उपजाऊ भूमि में भी कई बार गुलाब के फूल नहीं उगते पर मैंने उनको अनायास ही गंदे पानी में भी उगते हुए देखा है | कीचड़ में कमल का उगना तो सामान्य है |
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हमारे ह्रदय की बंजर भूमि में भी भक्ति रुपी सुन्दर सुगन्धित पुष्प खिलें और उनकी महक हमारे ह्रदय से सभी हृदयों में व्याप्त हो जाए | हे परम शिव, आपकी उपस्थिति का सूर्य सदा हमारे कूटस्थ में स्थिर रहे, और हमारे समक्ष कहीं भी अज्ञान रूपी तिमिर का अस्तित्व न रहे |
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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