परमात्मा के प्रति प्रेम ..... किसी भी प्रकार के संक्रामक विचार से अधिक संक्रामक है, बस कोई जगाने वाला चाहिए |
हम सब के भीतर भगवान् के प्रति एक सुप्त प्रेम है जिसे कोई जगाने वाला चाहिए| यह प्रेम इतनी तीब्रता से फैलता है जितनी तीब्रता से कोई संक्रामक रोग भी नहीं फैलता|
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मार्क्सवादी धर्मनिरपेक्ष अधर्मी राजनेताओं द्वारा फैलाया गया यह कुटिल वाक्य ..... "सर्वधर्म समभाव" ..... यानि सब धर्म एक ही शिक्षा देते हैं, और सभी मार्ग एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, सबसे बड़ा झूठ है|
बिना गहन अध्ययन किये किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचें, और दिग्भ्रमित न हों| धर्म के नाम पर सिर्फ हम हिन्दू लोग ही कुछ भी स्वीकार कर लेते हैं| वास्तविकता तो यह है कि विश्व के बड़े बड़े धर्मों में कोई मूलभूत समानता नहीं है| सभी के उद्देश्य और लक्ष्य अलग अलग हैं|
हम सब के भीतर भगवान् के प्रति एक सुप्त प्रेम है जिसे कोई जगाने वाला चाहिए| यह प्रेम इतनी तीब्रता से फैलता है जितनी तीब्रता से कोई संक्रामक रोग भी नहीं फैलता|
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मार्क्सवादी धर्मनिरपेक्ष अधर्मी राजनेताओं द्वारा फैलाया गया यह कुटिल वाक्य ..... "सर्वधर्म समभाव" ..... यानि सब धर्म एक ही शिक्षा देते हैं, और सभी मार्ग एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, सबसे बड़ा झूठ है|
बिना गहन अध्ययन किये किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचें, और दिग्भ्रमित न हों| धर्म के नाम पर सिर्फ हम हिन्दू लोग ही कुछ भी स्वीकार कर लेते हैं| वास्तविकता तो यह है कि विश्व के बड़े बड़े धर्मों में कोई मूलभूत समानता नहीं है| सभी के उद्देश्य और लक्ष्य अलग अलग हैं|
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