Saturday, 12 November 2016

हमारे पास जो कुछ भी है वह सब कुछ किसी और का दिया हुआ है .....

हमारे पास जो कुछ भी है वह सब कुछ किसी और का दिया हुआ है | हम कृतज्ञतापूर्वक उसी का निरंतर चिंतन करें जिसने यह सब कुछ हमें दिया है ....
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(१) मैं और मेरा सोचने वाला यह "मन" भी किसी और का है|
(२) यह रूपया-पैसा, धन-दौलत और सारी समृद्धि भी किसी और की है|
(३) ये साँसें जिसकी दी हुई है और जो इन्हें ले रहा है, वह भी कोई और हैं|
(४) यह ह्रदय भी किसी और का ही दिया हुआ है जो इसमें धड़क रहा है, वह भी कोई और है |
(५) साधना के मार्ग पर "साधन" भी किसी और का ही दिया हुआ है |
(६) कुछ भी करने की प्रेरणा, संकल्प और शक्ति भी किसी और की ही दी हुई है |
(७) यह भौतिक देह जिन अणुओं से बनी है वे भी किसी और के ही हैं |
(८) जो इन आँखों से देख रहा है, जो इन कानों से सुन रहा है, और जो इन पैरों से चल रहा है वह भी कोई और है|
(९) सारे पुण्य, पाप, बंधन, मोक्ष, धर्म, अधर्म, ज्ञान, अज्ञान आदि सब कुछ उसी के ही हैं |
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यह "मैं" और "मेरापन" एक धोखा है | जिसे हम "मैं" और "मेरापन" समझ रहे हैं, और जो कुछ भी है वह कोई और है | यह साक्षी भाव भी वह ही है | यह आत्मा भी वह ही है | जीवन की सार्थकता उसी परमात्मा को पूर्ण समर्पण कर उसी के साथ जुड़ कर एकाकार होने की है जो सब कुछ है |
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ॐ अयमात्मा ब्रह्म | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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