आभार ....
आप के हार्दिक प्रेम, आत्मीयता, सहयोग और प्रोत्साहन के लिए मैं सदा आप का आभारी हूँ| इस लौकिक जीवन में स्वयं को व्यक्त करने की अवचेतन मन में एक कामना थी जिसे पूर्ण करने का फेसबुक ने अवसर दिया| अब तो व्हाट्सअप जैसे अनेक अन्य साधन भी आ गए हैं पर अब अन्यत्र कहीं भी जाने का मानस नहीं है| सूक्ष्मता में एक नया द्वार खुल रहा हैं जिसका अकाट्य आकर्षण और भी बहुत अधिक है| मैं फेसबुक पर कभी आपके दर्शन नहीं कर पाऊँ तब भी मुझे अपने से दूर मत समझना| मैं जहाँ भी हूँ आपके साथ ही हूँ|
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अनुभव ........
अच्छा या बुरा मेरे साथ कभी भी कुछ भी नहीं हो सकता और कोई भी मेरे साथ कुछ भी नहीं कर सकता जब तक परमात्मा की स्वीकृति ना हो| जगन्माता निरंतर मेरी रक्षा कर रही हैं| मैं उनकी ममतामयी गोद में पूर्ण रूप से सुरक्षित हूँ| मेरे साथ क्या होता है इसका कोई महत्व नहीं है, पर उस अनुभव से मैं क्या बनता हूँ, महत्व सिर्फ उसी का है| हर कटु और मधुर अनुभव कुछ सीखने के लिए परमात्मा द्वारा दिया हुआ अवसर है| उनका प्रेमसिन्धु इतना विराट है जिसमें मेरी हिमालय जैसी भूलें भी एक कंकर-पत्थर से अधिक नहीं है| यह लौकिक जीवन एक माँगा हुआ बहुत ही अल्प समय है जिसमें किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचना है|
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लक्ष्य ........
करोड़ों सूर्यों की ज्योति से भी अधिक आभासित मेरा लक्ष्य मेरे सामने है| इधर-उधर दायें-बाएँ कहीं अन्यत्र कुछ भी न देखते हुए जब तक मेरी दृष्टी मेरे सामने अपने लक्ष्य पर है मैं सही मार्ग पर हूँ, भटक नहीं सकता| उस लक्ष्य से विमुख होना ही पाप है, और उसको निरंतर सामने रखना ही पुण्य है|
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पुनश्चः आप को बहुत बहुत साभार धन्यवाद|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
आप के हार्दिक प्रेम, आत्मीयता, सहयोग और प्रोत्साहन के लिए मैं सदा आप का आभारी हूँ| इस लौकिक जीवन में स्वयं को व्यक्त करने की अवचेतन मन में एक कामना थी जिसे पूर्ण करने का फेसबुक ने अवसर दिया| अब तो व्हाट्सअप जैसे अनेक अन्य साधन भी आ गए हैं पर अब अन्यत्र कहीं भी जाने का मानस नहीं है| सूक्ष्मता में एक नया द्वार खुल रहा हैं जिसका अकाट्य आकर्षण और भी बहुत अधिक है| मैं फेसबुक पर कभी आपके दर्शन नहीं कर पाऊँ तब भी मुझे अपने से दूर मत समझना| मैं जहाँ भी हूँ आपके साथ ही हूँ|
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अनुभव ........
अच्छा या बुरा मेरे साथ कभी भी कुछ भी नहीं हो सकता और कोई भी मेरे साथ कुछ भी नहीं कर सकता जब तक परमात्मा की स्वीकृति ना हो| जगन्माता निरंतर मेरी रक्षा कर रही हैं| मैं उनकी ममतामयी गोद में पूर्ण रूप से सुरक्षित हूँ| मेरे साथ क्या होता है इसका कोई महत्व नहीं है, पर उस अनुभव से मैं क्या बनता हूँ, महत्व सिर्फ उसी का है| हर कटु और मधुर अनुभव कुछ सीखने के लिए परमात्मा द्वारा दिया हुआ अवसर है| उनका प्रेमसिन्धु इतना विराट है जिसमें मेरी हिमालय जैसी भूलें भी एक कंकर-पत्थर से अधिक नहीं है| यह लौकिक जीवन एक माँगा हुआ बहुत ही अल्प समय है जिसमें किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचना है|
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लक्ष्य ........
करोड़ों सूर्यों की ज्योति से भी अधिक आभासित मेरा लक्ष्य मेरे सामने है| इधर-उधर दायें-बाएँ कहीं अन्यत्र कुछ भी न देखते हुए जब तक मेरी दृष्टी मेरे सामने अपने लक्ष्य पर है मैं सही मार्ग पर हूँ, भटक नहीं सकता| उस लक्ष्य से विमुख होना ही पाप है, और उसको निरंतर सामने रखना ही पुण्य है|
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पुनश्चः आप को बहुत बहुत साभार धन्यवाद|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
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