Thursday 8 September 2016

सत्य का आलोक, असत्य और अन्धकार के बादलोँ से ढका ही दिखता है, नष्ट नहीँ होता .....

सत्य का आलोक, असत्य और अन्धकार के बादलोँ से ढका ही दिखता है,
नष्ट नहीँ होता .....
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भगवान भुवन भास्कर जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं तब मार्ग में कहीं भी तिमिर का अवशेष नहीं रहता| अब समय आ गया है| असत्य, अन्धकार और अज्ञान की शक्तियों का पराभव सुनिश्चित है, पर पहिले अपने अंतर में उस ज्योतिर्मय ब्रह्म को आलोकित करना होगा|
सत्य विचार अमर है । सनातन वैदिक धर्म अमर है ।।
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सत्यं वद (सत्य बोलो) !
धर्मं चर (धर्म मेँ विचरण करो) !
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स्वाध्याय प्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यं ।
वेदाध्ययन और उसके प्रवचन प्रसार मेँ प्रमाद मत करो| !
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तद्विष्णोः परमं पदम् । सदा पश्यन्ति सूरयः।।
उस विष्णु के परम पद का दर्शन सदैव सूरवीर ही करते हैँ ।
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नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः ||
बलहीन को कभी परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती|
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अश्माभव:परशुर्भवःहिरण्यमस्तृतांभवः|
उस चट्टान की तरह बनो जो समुद्र की प्रचंड लहरों के आघात से भी विचलित नहीं होती|
उस परशु की तरह बनो जिस पर कोई गिरे वह भी नष्ट हो, और जिस पर भी गिरे वह भी नष्ट हो जाए|
तुम्हारे में हिरण्य यानि स्वर्ण की सी पवित्रता हो|
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परमात्मा से प्रेम करना तथा उसे प्रसन्न करने के लिये ही जीवन के हर कार्य को करना चाहे वह छोटे से छोटा हो या बड़े से बड़ा ..... बस यही महत्व रखता है| जब प्रेम की पराकाष्ठा होगी तब ईश्वर ही कर्ता हो जायेंगे और हमारा नहीं सिर्फ उन्हीं का अस्तित्व होगा|
ॐ ॐ ॐ !!

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