Sunday 19 June 2016

सुना है तुम पतित-पावन, परम दयालू और भक्तवत्सल हो .....

सुना है तुम पतित-पावन, परम दयालू और भक्तवत्सल हो .....
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बस यही सुनकर मैं निराश नहीं हुआ हूँ, अन्यथा अन्यत्र कोई आशा की किरण जीवन में नहीं है| तुम नाथों के नाथ हो, इसलिए तुम्हारी शरणागति में आया कोई कभी अनाथ नहीं हो सकता| समस्त महिमा तुम्हारी ही है, मेरा तुम्हारे अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है और कुछ भी नहीं है|
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मेरी अति घोर पतित निम्न-प्रकृति से अधिक पतित अन्य कुछ भी नहीं है, पर उससे मुक्ति भी तुम ही निश्चित रूप से दिलाओगे, क्योंकि तुम पतित-पावन और परम दयालू हो| मेरी निम्न-प्रकृति ही मेरी एकमात्र बाधा है, उससे मुक्ति दिलाओ| मैं तुम्हारी शरणागत हूँ| त्राहिमाम् त्राहिमाम् त्राहिमाम् |
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तुम वांछा कल्पतरु हो| तुम्हारी चरण सन्निधि में शरणागति और सम्पूर्ण समर्पण के अतिरिक्त अन्य कोई कामना कभी ह्रदय में उत्पन्न ही ना हो| सब कुछ तुम्हारा है, मेरा कुछ भी नहीं| मैं भी तुम्हारा ही हूँ और सदा तुम्हारा ही रहूँगा| मेरा सम्पूर्ण प्रेम तुम्हें अर्पित है, स्वीकार करो|
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त्राहिमाम् त्राहिमाम् त्राहिमाम् | ॐ ॐ ॐ ||

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