Tuesday, 4 February 2025

कैवल्य

"कैवल्य" शब्द के अर्थ पर कई बार चिंतन किया है। वीतराग व स्थितप्रज्ञ होकर निज स्वरूप में स्थित हो जाने को कैवल्य कहते हैं। "केवल उसी का होना", उसके साथ किसी अन्य का न होना कैवल्य है।
.
भारत में कई मठों व आश्रमों का नाम "कैवल्य धाम" है। बांग्लादेश के चटगांव (अंग्रेजी में Chittagong) नगर में भी एक ऊंची पहाड़ी पर "कैवल्य धाम" नाम का एक मठ है। मैं वहाँ की एक यात्रा का अपना अनुभव आपके साथ बाँट रहा हूँ। सन १९८३ में मुझे किसी काम से बांग्लादेश के चटगांव नगर में जाना पड़ा था। आजादी से पूर्व यह क्षेत्र जब भारत का भाग था, तब क्रांतिकारियों का गढ़ और हिन्दू बहुल क्षेत्र था। पर वहाँ जाकर मुझे बड़ी निराशा हुई। जैसी मुझे अपेक्षा थी, वैसा वहाँ कुछ भी नहीं था। कहीं पर भी कोई हिन्दू मंदिर तो दूर की बात है, किसी हिन्दू मंदिर के अवशेष भी नहीं मिले। एक पहाडी पर फ़ैयाज़ लेक नाम की एक झील थी जो बड़ी सुन्दर थी। लोगों से मैंने पूछा कि कोई हिन्दू मंदिर भी यहाँ पर है क्या? लोगों ने बताया कि एक पहाड़ी पर "कैवल्य धाम" नाम का एक हिन्दू मठ है जिसे मुझे अवश्य देखना चाहिए। मैं उस पहाड़ी पर स्थित "कैवल्य धाम" नाम के मठ में गया। वह स्थान तो बहुत बड़ा था, जिस की दीवारों पर नयी नयी सफेदी हुई थी। वहाँ चार-पांच आदमी बैठे थे जो बड़े मायूस से थे। वे न तो मेरी हिंदी या अंग्रेजी समझ सके और न मैं उनकी बांग्ला समझ सका। उन्होंने अपनी भाषा में कहा तो बहुत कुछ, पर मैं कुछ भी नहीं समझ पाया। नीचे लोग तिरस्कार पूर्वक उस स्थान को "केबलाई डैम" बोल रहे थे।
.
विश्व में "कैवल्य धाम" नाम के कई आश्रम हैं जो हिन्दू साधुओं द्वारा बनवाये हुए हैं। कभी कैवल्य पद की प्राप्ति होगी तभी बता पाऊंगा कि कैवल्य क्या है। आप सब के आशीर्वाद से कैवल्य अवस्था को भी उपलब्ध हो ही जाऊंगा। सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर

५ फरवरी २०१८ 

No comments:

Post a Comment