Saturday 28 August 2021

परमात्मा से विरह में भी एक आनंद है ---

 

परमात्मा से विरह में भी एक आनंद है ---
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परमात्मा से विरह में भी एक काल्पनिक आनंद है| विरह में मिलने की प्रसन्नता छिपी हुई है, और मिलने में बिछुड़ने का भय है| वास्तव में यह मिलना और बिछुड़ना एक भ्रम मात्र है| जिस से हम मिलना चाहते हैं, वह तो हम स्वयं हैं| बिछुड़ने का भय भी आधारहीन है, क्योंकि हमारे सिवाय अन्य कोई तो है ही नहीं| हम स्वयं ही यह पूरी समष्टि हैं, हमारे से अन्य कोई नहीं है| भौतिक जगत में जो कुछ भी हमें दिखाई दे रहा है वह अनेक ऊर्जाखंडों का विभिन्न आवृतियों पर स्पंदन मात्र है| हर दृश्य के पीछे एक ऊर्जा (Energy), आवृति (Frequency), और स्पंदन (Vibration) है| इन सब के पीछे एक चेतना है, जिसके पीछे एक विचार है| वह विचार जिनका है, वे ही परमात्मा हैं, जो जानने योग्य हैं| उन परमात्मा से हम पृथक नहीं, उनके साथ एक हैं|
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इस माया-जगत में हम जो भी हैं, अपने अतीत के विचारों से हैं, भविष्य में भी हम वही होंगे जैसे वर्तमान में हमारे विचार हैं| विचारों के प्रति सजग रहें| आत्म-प्रशंसा एक बहुत बड़ा अवगुण है| कभी भूल से भी आत्म-प्रशंसा न करें| हम सब के भीतर एक आध्यात्मिक चुम्बकत्व होता है, जो बिना कुछ कहे ही हमारी महिमा का स्वतः ही बखान कर देता है| उस चुंबक को ही बोलने दें| ध्यान-साधना और भक्ति से उस आध्यात्मिक चुम्बकत्व का विकास करें|
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हृदय की अभीप्सा (कभी न बुझने वाली प्यास), तड़प और परमप्रेम कभी कम न हों, निरंतर बढ़ते ही रहें| हर सोच-विचार और क्रिया में परमात्मा का बोध, अपना स्वभाविक आनंद होना चाहिए| वे ही हमारी साँसे व हृदय की हर एक धड़कन हैं| उनकी चेतना में हम जहाँ भी होंगे, वहाँ एक दिव्यता और आनंद का प्रकाश फैल जाएगा|
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भगवान कहीं दूर नहीं, निरंतर हमारे कूटस्थ में हैं| अपनी साँसों से हमारे मेरुदंडस्थ सप्तचक्रों की बांसुरी में सप्तसुरों की तान बजा रहें हैं| हमारे भीतर वे ही साँस ले रहे हैं| उनकी साँस से ही हमारी साँस चल रही है| उनके सप्त स्वरों से मिल कर प्रणव ध्वनि यानि अनाहत नाद, ध्यान में हमें निरतर सुनाई दे रही है| ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में वे ही हमारी दृष्टी में निरतर बने हुए हैं| उनका जन्म हमारे चित्त में निरंतर हो रहा है| उनकी चेतना से हमारा चित्त आनंदमय है|
हे प्रभु, यह मैं नहीं, तुम ही हो, और जो तुम हो, वह ही मैं हूँ|
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ अगस्त २०२०

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