भारत में अंग्रेजों के आने तक सभी हिन्दू राजा मनुस्मृति से मार्गदर्शन
लेते थे| हजारों वर्षों तक मनुस्मृति ही भारत का संविधान थी| कुटिल धूर्त
अंग्रेजों ने मनुस्मृति को ही प्रक्षिप्त यानि विकृत करवा दिया| मनुस्मृति
के ७वें अध्याय में राजधर्म की चर्चा की गयी है| हिन्दू राजाओं के शासन काल
में राजधर्म की शिक्षा के मूल में वेद ही थे|
महाभारत में राजधर्म का विस्तृत विवेचन किया गया है| महाभारत युद्ध के उपरांत महाराज युधिष्ठिर को भीष्म ने भी राजधर्म का उपदेश दिया था| मनुस्मृति के ७वें अध्याय में राजधर्म की चर्चा की गयी है| विदुर नीति, शुक्रनीति में भी राजधर्म की शिक्षा है| कालान्तर में चाणक्य ने भी राजधर्म पर बहुत कुछ लिखा है| जयपुर के राजाओं ने बड़े बड़े विद्वानों की सभा कर उनसे राजधर्म पर पुस्तकें लिखवाई थीं|
महाभारत में राजधर्म का विस्तृत विवेचन किया गया है| महाभारत युद्ध के उपरांत महाराज युधिष्ठिर को भीष्म ने भी राजधर्म का उपदेश दिया था| मनुस्मृति के ७वें अध्याय में राजधर्म की चर्चा की गयी है| विदुर नीति, शुक्रनीति में भी राजधर्म की शिक्षा है| कालान्तर में चाणक्य ने भी राजधर्म पर बहुत कुछ लिखा है| जयपुर के राजाओं ने बड़े बड़े विद्वानों की सभा कर उनसे राजधर्म पर पुस्तकें लिखवाई थीं|
भारत की प्राचीन
राज्य व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ थी| राजा धर्मनिष्ठ होते थे जिन पर धर्म का
अंकुश रहता था| हर युग के राजा तपस्वी ऋषियों से मार्गदर्शन लेते थे| राजा
निरंकुश न होकर जन-कल्याण के लिए समर्पित होते थे| श्रुतियों के अनुसार
राजा की नीतियाँ निर्धारित होती थीं|
भारत में वर्त्तमान लोकतंत्र अगले पचास वर्षों में पूरी तरह विफल हो जाएगा, और कोई नई व्यवस्था आयेगी जो वर्तमान व्यवस्था से श्रेष्ठतर ही होगी|
कृपा शंकर
१० अप्रेल २०१९
भारत में वर्त्तमान लोकतंत्र अगले पचास वर्षों में पूरी तरह विफल हो जाएगा, और कोई नई व्यवस्था आयेगी जो वर्तमान व्यवस्था से श्रेष्ठतर ही होगी|
कृपा शंकर
१० अप्रेल २०१९
No comments:
Post a Comment