Thursday 25 April 2019

नवरात्रों का आध्यात्मिक महत्व ....

हम अपने चित्त की विकृतियों को नष्ट कर, चित्त को शुद्ध कर, वांछित सद्गुणों का अपने भीतर विकास कर, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर, अपने चैतन्य की सीमितता का अतिक्रमण कर सकें ..... इस शुभ कामना के साथ आने वाला भारतीय नववर्ष / नवसंवत्सर मंगलमय हो|
(इस दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ वासंतीय नवरात्र आरम्भ करें)
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नवरात्रों का आध्यात्मिक महत्व ....
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नवरात्रों के बारे में विशेष ज्ञान तो मार्कंडेय-पुराण व देवी-भागवत जैसे ग्रंथों में मिलेगा, पर इनका थोड़ा-बहुत ज्ञान तो भारतीय संस्कृति में सभी को है| जितना अल्प व सीमित ज्ञान मुझे अपनी पारिवारिक परम्परा से प्राप्त है, उसे ही यहाँ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ|
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नवरात्रों में जगन्माता की आराधना महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती के रूप में की जाती है| दुर्गा इन तीनों का संयुक्त रूप है| महाविद्याओं के साधक नवरात्रों में महाविद्या की साधना करते हैं, और भगवान श्रीराम व हनुमान जी के उपासक इनमें भगवान श्रीराम व हनुमान जी की उपासना करते हैं| वर्ष में दो बार तो प्रकट रूप में और दो बार गुप्त नवरात्र आते हैं| अश्विन मास के नवरात्र सबसे प्रमुख माने जाते हैं, दूसरे प्रमुख नवरात्र चैत्र माह के होते हैं| इन दोनों नवरात्रों को क्रमश: शारदीय व वासंतीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है| इन के अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं जो विशेषतः दस महाविद्याओं की साधना के लिए होते हैं|
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भगवान माता भी है और पिता भी| मातृरूप में मुख्यतः दुर्गा देवी की आराधना की जाती है, जिन का प्राकट्य तीन रूपों .... महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती के रूपों में है| नवरात्रों में हम माता के इन तीनों रूपों की आराधना उन की प्रीति के लिए करते हैं|
महाकाली की आराधना से हमारे अंतर की विकृतियों और दुष्ट वृत्तियों का नाश होता है| माँ दुर्गा का एक नाम है महिषासुर-मर्दिनी है| महिष का अर्थ होता है ... भैंसा, जो तमोगुण का प्रतीक है| आलस्य, अज्ञान, जड़ता और अविवेक ये तमोगुण के प्रतीक हैं| महिषासुर वध हमारे भीतर के तमोगुण के विनाश का प्रतीक है|
ध्यानस्थ होने के लिए अंतःकरण का शुद्ध होना आवश्यक होता है जो महालक्ष्मी की कृपा से होता है| सच्चा ऐश्वर्य है आतंरिक समृद्धि| हमारे में सद्गुण होंगे तभी हम भौतिक समृद्धि को सुरक्षित रख सकते हैं| हमारे में सभी सद्गुण आयें इसके लिए महालक्ष्मी की साधना की जाती है|
आत्मा का ज्ञान ही ज्ञान है| इस आत्मज्ञान को महासरस्वती प्रदान करती हैं|
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नवरात्रि का सन्देश यही है कि हम अपने चित्त की विकृतियों को नष्ट कर के चित्त को शुद्ध करें, वांछित सद्गुणों का अपने भीतर विकास करें, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करें और सभी सीमितताओं का अतिक्रमण करें| यही वास्तविक विजय है|
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जितना अल्प व सीमित ज्ञान मुझे अपनी पारिवारिक परम्परा से प्राप्त है, उसे ही यहाँ कम से कम शब्दों में लिख दिया है| अधिक जानकारी के लिए ग्रंथों का स्वाध्याय करें| मैंने मेरी बात कम से कम शब्दों में व्यक्त कर दी है जो लगभग पर्याप्त है| इससे अधिक लिखना मेरे लिए बौद्धिक रूप से संभव नहीं है| सबका कल्याण हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ अप्रेल २०१९
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पुनश्चः :---- हम अव्यभिचारिणी अनन्य भक्ति द्वारा परमात्मा को पूर्णतः समर्पित होकर आत्मज्ञान प्राप्त कर सकें | यह सबसे बड़ी उपलब्धि है | जो योगमार्ग के साधक हैं, वे परमशिव का यथासंभव खूब ध्यान करें |
शुभ कामनाएँ !
रामनवमी की शुभ कामनाएँ भी अभी से स्वीकार करें| भरोसा नहीं है जीवन का, पता नहीं कौन सी सांस अंतिम हो | साँसे भी तो भगवान स्वयं ही ले रहे हैं | हर सांस पर उन का स्मरण रहे |

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