भगवान को कौन प्राप्त कर सकता है ?
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भगवान करुणा और प्रेमवश अनुकम्पा कर के ही स्वयं को अनावृत करते हैं| हम भगवान का नाम-स्मरण, चिंतन और ध्यान उनकी परम अनुकम्पा और अनुग्रह के बिना नहीं कर सकते| गीता के दसवें अध्याय विभूति-योग में उन्होंने यह स्पस्ट कहा है .....
"तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् | ददामि बद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते||१०:१०||"
"तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः| नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता ||१०:११||
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भगवान करुणा और प्रेमवश अनुकम्पा कर के ही स्वयं को अनावृत करते हैं| हम भगवान का नाम-स्मरण, चिंतन और ध्यान उनकी परम अनुकम्पा और अनुग्रह के बिना नहीं कर सकते| गीता के दसवें अध्याय विभूति-योग में उन्होंने यह स्पस्ट कहा है .....
"तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् | ददामि बद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते||१०:१०||"
"तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः| नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता ||१०:११||
अर्थात् जो सदा अपने मन को मुझमें जो सदैव अपने मन को मुझमें स्थित रखते
हैं और प्रेम-पूर्वक निरन्तर मेरा स्मरण करते हैं, उन भक्तों को मैं वह
बुद्धि प्रदान करता हूँ, जिससे वह मुझको ही प्राप्त होते हैं||१०:१०||
हे अर्जुन! उन भक्तों पर विशेष कृपा करने के लिये उनके हृदय में स्थित आत्मा के द्वारा उनके अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी दीपक के प्रकाश से दूर करता हूँ||१०:११||
.
वे साधनागम्य नहीं, प्रेमगम्य हैं| इसे ही संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में कहा है ....
"सोइ जानइ जेहि देहु जनाई| जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई||"
और
"मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा, किएँ जोग तप ग्यान बिरागा" ....
बिना परम प्रेम यानि बिना भक्ति के भगवान नहीं मिल सकते| अन्य सभी साधन भी तभी सफल होते हैं जब ह्रदय में भक्ति होती है|
..
भगवान प्रेम और समर्पण से ही प्राप्त हो सकते हैं, अन्य किसी उपाय से नहीं|
कृपा शंकर
९ अप्रेल २०१९
हे अर्जुन! उन भक्तों पर विशेष कृपा करने के लिये उनके हृदय में स्थित आत्मा के द्वारा उनके अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी दीपक के प्रकाश से दूर करता हूँ||१०:११||
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वे साधनागम्य नहीं, प्रेमगम्य हैं| इसे ही संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में कहा है ....
"सोइ जानइ जेहि देहु जनाई| जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई||"
और
"मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा, किएँ जोग तप ग्यान बिरागा" ....
बिना परम प्रेम यानि बिना भक्ति के भगवान नहीं मिल सकते| अन्य सभी साधन भी तभी सफल होते हैं जब ह्रदय में भक्ति होती है|
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भगवान प्रेम और समर्पण से ही प्राप्त हो सकते हैं, अन्य किसी उपाय से नहीं|
कृपा शंकर
९ अप्रेल २०१९
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