Thursday 25 April 2019

गणगौर के पर्व से जुडी घुड़ला वध की कथा .....

गणगौर के पर्व से जुडी घुड़ला वध की कथा .....
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कुछ वर्षों पूर्व तक गणगौर पूजने वाली कन्याएँ एक छोटे मटके में कई छेद कर के उसमें दीपक जलाकर घुड़ला के गीत गाती हुई घर घर घुमाती थीं| यह घुड़ला खान के वध का उत्सव होता था| घुड़ला खान अकबर का एक मुग़ल सरदार था जो अत्याचार और पैशाचिकता में अकबर जैसा ही नर-पिशाच राक्षस था| नागौर जिले के पीपाड़ गाँव के पास कोसाणा नाम के स्थान पर एक तालाब है जहाँ लगभग दो सौ कन्याएँ व्रत कर के गणगौर की पूजा कर रही थीं कि उधर से घुडला खान अपनी फ़ौज के साथ निकला| उसकी गन्दी दृष्टी उन बच्चियों पर पडी तो उसकी पैशाचिकता जाग उठी, और उसकी फौज ने उन बच्चियों का अपहरण कर लिया| गाँव के लोगों ने विरोध किया तो उनकी ह्त्या कर दी गयी| यह समाचार किसी घुड़सवार ने जोधपुर के राव सातल सिंह राठौड़ तक पहुंचाया| सातल सिंह जी ने घुड़ला खान का पीछा किया और उसे रोक लिया| घुड़ला खान ने राव सातल सिंह को चेतावनी दी कि उसे रोकना अकबर बादशाह को रोकना होगा| राव सातल सिंह जी ने कहा कि जो होगा सो देखा जाएगा पर तुम्हें इस अपराध का दंड अवश्य मिलेगा| उनकी तलवार के एक वार से घुडला खान का सिर कटकर दूर जा गिरा| राजपूत सेना मुगलों पर टूट पड़ी और सभी बच्चियों को मुक्त कराकर मुग़ल फौज को भगा दिया| घावों से अधिक खून बह जाने के कारण राव सातल सिंह जी वीर गति को प्राप्त हुए| वहीं कोसाणा के तालाब पर उनका अंतिम संस्कार कर समाधि बना दी गयी| उन बच्चियों ने घुडला खान के सिर को एक घड़े में रख कर घड़े में छेद किये और पूरे गाँव में घुमाया| हर घर में रोशनी की गयी तब से कई सौ वर्षों तक घुड़ल्या घुमाने की परम्परा राजस्थान में चली जो अब समाप्तप्राय है|
कृपा शंकर
८ अप्रेल २०१९

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