निम्न प्रकृति को कुचल देना होगा .....
इस निम्न प्रकृति को ही इब्राहिमी मज़हबों (ईसाईयत, इस्लाम और यहूदी मत) ने "शैतान" कहा है| यह हमारी ही निम्न प्रकृति है जो हमें झूठे संसारी आश्वासन देती है और परमात्मा से दूर करती है| यह इन्द्रिय सुखों की कामना और झूठे भ्रामक आश्वासनों द्वारा हमें भ्रमित करती है|
इस "शैतान" पर विजय पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, शिवसंकल्प, सत्संग और हरिकृपा चाहिए| बड़ी दृढ़ता से इस शैतान को कुचल दीजिये| बड़ा भयंकर कष्ट होगा पर अंत में आनंद ही आनंद है|
इस निम्न प्रकृति को ही इब्राहिमी मज़हबों (ईसाईयत, इस्लाम और यहूदी मत) ने "शैतान" कहा है| यह हमारी ही निम्न प्रकृति है जो हमें झूठे संसारी आश्वासन देती है और परमात्मा से दूर करती है| यह इन्द्रिय सुखों की कामना और झूठे भ्रामक आश्वासनों द्वारा हमें भ्रमित करती है|
इस "शैतान" पर विजय पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, शिवसंकल्प, सत्संग और हरिकृपा चाहिए| बड़ी दृढ़ता से इस शैतान को कुचल दीजिये| बड़ा भयंकर कष्ट होगा पर अंत में आनंद ही आनंद है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ जनवरी २०१९
.
हम परमात्मा के अमृतपुत्र हैं .....
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"युजे वां ब्रह्म पूर्व्यं नमोभिर्विश्लोक एतु पथ्येव सूरेः |
शृण्वन्तु विश्वे अमृतस्य पुत्रा आ ये धामानि दिव्यानि तस्थुः ||"
(श्वेताश्वतरोपनिषद् २:५)
कृष्ण यजुर्वेद का श्वेताश्वतरोपनिषद् हमें अमृतपुत्र कहता है| यह वेदवाक्य है जिसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए| हम कोई जन्मजात पापी नहीं हैं|
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"मैं इंद्र हूँ, मेरी पराजय नहीं हो सकती | मैं विजयी हूँ और सदा विजयी ही रहूँगा ||"
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अहमिन्द्रो न परा जिग्य इद्धनं न मृत्यवेऽव तस्थे कदा चन । सोममिन्मा सुन्वन्तो याचता वसु न मे पूरवः सख्ये रिषाथन ||
(ऋग्वेद १०:४८:५)
कृपा शंकर
२१ जनवरी २०१९
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हम परमात्मा के अमृतपुत्र हैं .....
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"युजे वां ब्रह्म पूर्व्यं नमोभिर्विश्लोक एतु पथ्येव सूरेः |
शृण्वन्तु विश्वे अमृतस्य पुत्रा आ ये धामानि दिव्यानि तस्थुः ||"
(श्वेताश्वतरोपनिषद् २:५)
कृष्ण यजुर्वेद का श्वेताश्वतरोपनिषद् हमें अमृतपुत्र कहता है| यह वेदवाक्य है जिसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए| हम कोई जन्मजात पापी नहीं हैं|
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"मैं इंद्र हूँ, मेरी पराजय नहीं हो सकती | मैं विजयी हूँ और सदा विजयी ही रहूँगा ||"
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अहमिन्द्रो न परा जिग्य इद्धनं न मृत्यवेऽव तस्थे कदा चन । सोममिन्मा सुन्वन्तो याचता वसु न मे पूरवः सख्ये रिषाथन ||
(ऋग्वेद १०:४८:५)
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