Thursday 24 January 2019

निष्ठा का अभाव और उसका समाधान .....

निष्ठा का अभाव और उसका समाधान .....
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मेरे व्यक्तिगत अनुभव से आध्यात्मिक मार्ग में साधक की प्रगति के अवरुद्ध होने का सब से बड़ा कारण है ..... "निष्ठा का अभाव" यानी Insincerity. यह साधक को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ने देता और उसकी सारी प्रगति अवरुद्ध हो जाती है|
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निष्ठा के अभाव का एकमात्र कारण है .... "चेतना में विभाजन" यानि Division in consciousness | हमें हमारी उच्चतम चेतना में भगवान से जो प्रेरणा मिलती है उसके प्रति निष्ठावान रहना चाहिए| उस चेतना को बनाए रखने या उसी में निश्चय कर के स्थित रहना चाहिए, चाहे कितना भी अधिक प्रयास करना पड़े| जब हम निम्नतर चेतना में चले जाते हैं और अन्य आकर्षणों में खो जाते हैं तब भगवान की भक्ति वहीं की वहीं धरी रह जाती है और हमारा पतन हो जाता है| यही है "Insincerity"| कभी कभी तो हम भगवान को याद कर लेते हैं बाकी समय वासनाओं में डूबे रहते है, इसे "व्यभिचारिणी भक्ति" कहते हैं| यह व्यभिचारिणी भक्ति नहीं चलेगी|
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जब भगवान के अतिरिक्त अन्य कुछ भी आकर्षण का विषय न हो, और हर परिस्थिति में एकमात्र प्रेम और निष्ठा भगवान से ही हो, तब वह "अनन्य भक्ति" कहलाती है| भक्ति की चेतना में किसी भी तरह का विभाजन नहीं होना चाहिए| पूर्ण हृदय से हमें समर्पित हो जाना चाहिए, किसी भी तरह की कोई किन्तु-परन्तु या शर्त नहीं होनी चाहिए| यह अनन्य भक्ति ही चलने वाली है जो निष्ठावान होने का लक्षण है|
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यदि संकल्प से या इच्छा शक्ति से काम नहीं बन रहा है तो कुछ कठोर क़दम उठाने होंगे| उन सभी लोगों का साथ छोड़ना होगा जो हमें भगवान से दूर करते हैं, चाहे वे कितने भी प्रिय हों| यदि वातावरण और परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं है तो वातावरण और परिस्थितियों को भी बदलना पड़ेगा| घर से दूर भी रहना पड़े तो वह भी स्वीकार करना होगा|
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आशा है मैं अपनी बात समझानें में सफल रहा हूँ| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन!
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२२ जनवरी २०१९

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