Saturday 8 December 2018

मौनी बाबा हरिदास .... (एक मधुर स्मृति) .....

मौनी बाबा हरिदास .... (एक मधुर स्मृति) .....
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मौनी बाबा हरिदास से कोई १०-१२ वर्ष पूर्व हरिद्वार के पास उनके द्वारा चलाये जा रहे एक अनाथाश्रम में दो बार मिलना हुआ था| मैं हर दृष्टी से उनको एक महान संत कह सकता हूँ| वे हर समय अपने निष्ठावान पंद्रह-बीस अमेरिकन शिष्यों से घिरे रहते थे| उनके शिष्य भी कोई छोटे मोटे लोग नहीं, पश्चिमी जगत की कई बड़ी बड़ी हस्तियाँ भी उनके शिष्यों में थीं| युवावस्था में वे एक स्थापत्य इंजिनियर (Architect Engineer) थे और अधिकतर अमेरिका के केलिफोर्निया प्रांत में ही रहे| डेढ़-दो साल में एक बार भारत आते थे और हरिद्वार के पास अपने स्व निर्मित एक आश्रम में रहते थे जो अनाथ बालक-बालिकाओं का एक आश्रय स्थल, अनाथों के लिए निःशुल्क विद्यालय/कॉलेज/अस्पताल और कृषि फार्म था, जिसकी सारी व्यवस्था उनकी अमेरिकन शिष्याएँ करती थीं| अनेक विशाल मंदिर और भवन उन्होंने विश्व के अनेक स्थानों पर बनवाए| एक दिन उन्हें वैराग्य हुआ और वे विरक्त साधू बन गए व मौन धारण कर लिया|
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मुझे आज ही पता चला कि इसी वर्ष २५ सितम्बर २०१८ को ९५ वर्ष की आयु में उन्होंने अमेरिका में देह त्याग कर दिया और ब्रह्मलीन हो गए| ऐसे महान संत को श्रद्धांजलि|
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अपने साथ में वे एक स्लेट रखते थे| कुछ भी कहना होता तो उस स्लेट पर लिख देते| उनके शिष्य उसी समय उस लेखन की फोटो खींच लेते| मैंने उनसे वेदान्त व योग दर्शन पर एक लघु चर्चा की थी जिसमें उन्होंने मेरे हर प्रश्न का उत्तर संक्षिप्त में स्लेट पर लिख कर दिया| पूरी चर्चा की विडियो रिकॉर्डिंग हो गयी| बाद में उन्होंने स्व लिखित एक पुस्तक मुझे भेंट की जो योग दर्शन पर उनके उपदेशों का संग्रह था| उस पुस्तक का नाम ही था .... "From the slate of Baba Hari Das".
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वाणी से वे मौन थे पर अपनी भावभंगिमा, स्लेट पर लेखन और आध्यात्मिक शक्ति से अपनी बात दूसरो को समझा देते थे| अपने व्यस्ततम जीवन में भी मौन रहकर अपना सन्देश दूसरों तक पहुंचाने में उन्हें कभी कोई कठिनाई नहीं हुई| यह उनका आध्यात्मिक बल था|
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एक पश्चिमी दार्शनिक का कथन है कि .... “It is not speaking that breaks our silence, but the anxiety to be heard.”
यह बात सत्य है| मौन का अपना महत्त्व है जिसको वो ही समझ सकता है जिसने मौन रहकर तपस्या की हो| परमात्मा की हमारे भीतर मौन उपस्थिति ही हमें शांति प्रदान करती है| दूसरे हमारी बात सुनें ..... यह कामना बड़ी दुखदायी है|
एक अन्य पश्चिमी दार्शनिक का कथन था कि .... "Lord, Thou hast made us for Thyself, and our heart is restless until it finds its rest in Thee".
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आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ हैं| आप सब में परमात्मा को नमन!
ॐ तत्सत ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ दिसंबर २०१८

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