Saturday 8 December 2018

असुरों व पिशाचों से मनुष्य नहीं लड़ सकता. उसे आत्मरक्षार्थ दैवीय शक्तियों को जागृत करना ही होगा ....

असुरों व पिशाचों से मनुष्य नहीं लड़ सकता. उसे आत्मरक्षार्थ दैवीय शक्तियों को जागृत करना ही होगा ....
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सूक्ष्म जगत अत्यधिक विशाल है, उसमें भी अनेक वर्ग हैं| यह भौतिक जगत उसके समक्ष बहुत छोटा है| सूक्ष्म जगत की आसुरी पैशाचिक शक्तियाँ हम पर हावी हो रही है, उन्होंने अधिकांश मनुष्यों को अपना उपकरण बना रखा है| धर्म की रक्षा हेतु हमें संगठित भी होना होगा और आध्यात्मिक साधना द्वारा दैवीय शक्तियों का जागरण भी करना होगा| पिछले दो सहस्त्र वर्षों से आसुरी शक्तियाँ हम पर बहुत अधिक हावी हो रही हैं| इसके लिए हमें आपस के सारे मतभेद भुलाकर संगठित भी होना होगा और भगवान का आश्रय/शरण भी लेनी होगी|
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माँ भगवती की शक्तियाँ .... नौ दुर्गा / दश महाविद्याएँ, सप्त चिरंजीवी, और भगवान श्रीराम/श्रीकृष्ण जैसे अवतार ही हमारी रक्षा कर सकते हैं| अन्यथा हम नष्ट होने के लये तैयार रहें| इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं है| हमें अपने जीवन का केंद्रबिंदु परमात्मा को बनाना होगा, और उपासना द्वारा निज जीवन में अव्यक्त ब्रह्म को व्यक्त करना होगा| हृदय में परमप्रेम (भक्ति) जागृत करें व परमात्मा की उपासना करें| हृदय में परमप्रेम होगा तो भगवान स्वयं मार्गदर्शन करेंगे|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
९ दिसंबर २०१८

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