Wednesday 12 September 2018

नदी-नाव संयोग .....

नदी-नाव संयोग .....

दोनों आँखें एक-दूसरे को देख नहीं सकतीं, फिर भी साथ साथ देखती हैं, साथ साथ झपकती हैं और साथ साथ रोती हैं| दोनों एक दूसरे का क्या बिगाड़ सकती हैं? साथ रहना उनकी नियति है|
कई बार दाँत जीभ को काट लेते है, फिर भी दाँत और जीभ साथ साथ ही रहते हैं| साथ साथ रहना उनकी भी नियति है|
रेज़र की ब्लेड नुकीली होती है पर पेड़ को नहीं काट सकती| कुल्हाड़ी नुकीली होती है पर दाढ़ी नहीं बना सकती| सूई का काम तलवार नहीं कर सकती, और तलवार का काम सूई नहीं कर सकती| हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है| जीवन में न चाहते हुए भी सब के साथ प्रेम से रहना ही पड़ता है|
घर-परिवार और समाज में विवशता की बजाय प्रेम से जीयें तो अधिक अच्छा होगा| कई बार हमें अंधा बनकर आसपास की घटनाओं की उपेक्षा करनी पड़ती है|
ॐ तत्सत् !
कृपा शंकर
१२ सितंबर २०१७

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