Saturday, 29 September 2018

मोक्ष के मार्ग पर हम अकेले ही हैं, अकेले ही हमें चलना पडेगा .....

मोक्ष के मार्ग पर हम अकेले ही हैं, अकेले ही हमें चलना पडेगा .....
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"आत्मतत्व" का जो बोध कराये वह "विद्या" है| विद्या हमें सब दुःखों, कष्टों व पीड़ाओं से "मुक्त" कराती है| विद्या हमें अज्ञान से "मुक्त" करती है| अन्य सब जिसे हम संसार में ज्ञान कहते हैं, वह "अविद्या" है|
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"समत्व" में स्थिति ही वास्तविक "ज्ञान" है| समत्व का अभाव ही "अज्ञान" है| इन्द्रिय सुखों की ओर प्रवृति हमारा अज्ञान है जो हमें परमात्मा से दूर करता है| परमात्मा से दूरी ही हमारे सब दुःखों का कारण है| एक ही अविनाशी परम तत्त्व का सर्वत्र दर्शन हमें समत्व में स्थित करता है|
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हम ने जन्म लिया था परमात्मा की प्राप्ति के लिए, पर कुबुद्धि से कुतर्क कर के स्वयं को तो भटका ही रहे हैं, अहंकारवश औरों को भी भटका रहे हैं| हम जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होने का उपाय न करने के लिए तरह तरह के बहाने बनाते हैं| सही शिक्षा जो हमें आत्मज्ञान की ओर प्रवृत करती है, उसको हमने साम्प्रदायिक और पुराने जमाने की बेकार की बात बताकर हीन मान लिया है|
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हम जहाँ भी हैं, वहीं से परमात्मा की ओर उन्मुख हो जाएँ तो निश्चित रूप से मार्गदर्शन मिलेगा| परमात्मा की ओर उन्मुख तो होना ही पडेगा, आज नहीं तो फिर किसी अन्य जन्म में| अभी सुविधाजनक नहीं है तो अगले जन्मों की प्रतीक्षा करते रहिये|
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मनुष्य द्वारा बनाए गए नियम परिवर्तित हो सकते हैं, पर परमात्मा द्वारा बनाए गए नियम सदा अपरिवर्तनीय हैं| जैसे सत्य बोलना, परोपकार करना आदि पहले पुण्य थे तो आज भी पुण्य हैं| झूठ बोलना, चोरी करना, हिंसा करना पाप था तो आज भी पाप है| परमात्मा के बनाए हुए नियम अटल हैं, और पूरी प्रकृति उनका पालन कर रही है|
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दुःखों से निवृति ही "मोक्ष" है| मोक्ष के मार्ग पर हमें अकेले ही चलना पड़ता है| ॐ तत्सत् !
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आप सभी निजात्म गणों को सप्रेम नमन !
कृपा शंकर
२७ सितम्बर २०१८

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