Sunday, 8 July 2018

सारी साधनाएँ एक बहाना है, असली चीज तो प्रभु की कृपा है .....

सारी साधनाएँ एक बहाना है, असली चीज तो प्रभु की कृपा है .....
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हमारी सारी आध्यात्मिक साधनाएँ, जप-तप, योग, ध्यान, भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ आदि आदि सब एक बहाना मात्र हैं| ये सब सिर्फ हमारी कमियों को दूर करती हैं, इनसे प्रभु नहीं मिलते| शरणागति भी हमारी कमियों को ही दूर करती है| उस से भी प्रभु नहीं मिलते| प्रभु तो करूणावश सिर्फ अपनी कृपा से ही मिलते हैं| उन्हें कोई बाध्य नहीं कर सकता| सारी साधनाएँ तो एक बहाना मात्र हैं, और कुछ नहीं|
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एक बालक अपने माता-पिता से मिलना चाहे तो उसके माता-पिता क्या यह कहेंगे कि बेटा, तुम इतना तप करो, इतना जप करो, इतने यज्ञ करो, इतना ध्यान करो, इतना पुण्य करो, इतनी क्रिया करो, तब मैं मिलूंगा ? एक नालायक से नालायक संतान भी अपने माँ-बाप से मिलना चाहे तो माँ-बाप मना नहीं करते|
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फिर प्रभु से हम दूर क्यों हैं? वे हमें क्यों नहीं मिलते? इस पर ज़रा विचार करें और मुझे भी अपने ज्ञान का प्रकाश दें| धन्यवाद ! ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ जुलाई २०१८
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पुनश्चः :-- मेरे लिए तो प्रभु परम कल्याणकारी, प्रेम और आनंदमय हैं| मैं ऐसे किसी भगवान को नहीं मानता जो प्राणियों की ह्त्या करा कर, उन पर अत्याचार करा कर और दूसरों को दुःख दिला कर प्रसन्न होता है|
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निर्मल मन जन, सो मोहिं पावा। सारी साधनाओं का लक्ष्य तो केवल मन की निर्मलता के लिए है, शेष कृपा तो प्रभु के हाथ में है। पर साथ में यह भी पूर्ण विश्वास है कि हम अपनी भमिका निभा जाएंगे तो उनकी कृपा में एक क्षण भी विलम्ब नहीं होगा ॐ ॐ ॐ !!
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सारी साधनाओं का लक्ष्य मन का मेल दूर करना है ....
श्री रामचरितमानस में भगवान श्रीराम ने एक ऐसा सूत्र पकड़ा दिया है जिस से भगवान स्वयं ही पकड़ में आ गये हैं| वह सूत्र है ....
"निर्मल मन जन सो मोहि पावा | मोहि कपट छल छिद्र न भावा ||"
यही बात हमारे सारे ग्रंथों में कही गयी है| जो इस बात को समझ कर अपने आचरण में ले आयेगा वह एक न एक दिन प्रभू को अवश्य प्राप्त कर लेगा|

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