Sunday, 8 July 2018

परमात्मा की क्या चर्चा करें ? ....

परमात्मा की क्या चर्चा करें ? ....
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गन्धर्वराज पुष्पदंत द्वारा रचित "शिवमहिम्नस्तोत्र" जो अपने आप में एक सम्पूर्ण ग्रन्थ है, का बत्तीसवाँ श्लोक कहता है .....
"असित-गिरि-समं स्यात् कज्जलं सिन्धु-पात्रे| सुर-तरुवर-शाखा लेखनी पत्रमुर्वी||
लिखति यदि गृहीत्वा शारदा सर्वकालं| तदपि तव गुणानामीश पारं न याति||"
भावार्थ: यदि समुद्र को दवात बनाया जाय, उसमें काले पर्वत की स्याही डाली जाय, कल्पवृक्ष के पेड की शाखा को लेखनी बनाकर और पृथ्वी को कागज़ बनाकर स्वयं ज्ञान स्वरूपा माँ सरस्वती दिनरात आपके गुणों का वर्णन करें तो भी आप के गुणों की पूर्णतया व्याख्या करना संभव नहीं है|
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परमात्मा अचिन्त्य है| हम सिर्फ उसके गुणों की ही चर्चा और गुणों का ही स्वाध्याय कर सकते हैं| बौद्धिक संतुष्टि ही पानी है तो रामचरितमानस का, सारे उपनिषदों का, और भगवद्गीता का स्वाध्याय कर लें| इन से बढ़िया और कुछ भी इस सृष्टि में नहीं है| आत्मा की संतुष्टि ही पानी है तो ओंकार का ध्यान किसी ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य के सान्निध्य और मार्गदर्शन में करें| कोई भी साधना हो किसी अधिकृत ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए, सिर्फ पुस्तकें पढ़ कर नहीं|
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बाकी और कुछ भी लिखना मेरे लिए व्यर्थ है| आत्मतत्व के बारे में सारा ज्ञान उपनिषदों में है| स्वाध्याय के साथ साथ ध्यान साधना भी करें| मुझे तो भगवान की परम कृपा और गुरुओं के आशीर्वाद से पूरा मार्गदर्शन प्राप्त है| किसी भी तरह की कोई शंका/संदेह व भ्रम नहीं है|
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आप सब महान आत्माओं को सप्रेम सादर नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ जुलाई २०१८

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