भारत में १५ अगस्त १९४७ से आज तक हिन्दुओं को दूसरे दर्जे के नागरिक से भी बुरी स्थिति में रखा गया है .....
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(१) हिन्दू अपने विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा अपने बच्चों को नहीं दे सकते| अपने विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार सिर्फ तथाकथित अल्पसंख्यकों को ही है| गुरुकुलों की पढाई को मान्यता प्राप्त नहीं है जब कि मदरसों व कॉन्वेंट की पढाई को है| सारी विकास की योजनाएँ भी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए ही बनती हैं| आज तक हिन्दुओं के कल्याण के लिए एक भी योजना नहीं बनी है|
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(२) सिर्फ हिन्दुओं के ही मंदिरों पर सरकार का अधिकार है| वहाँ आने वाले चढ़ावे का उपयोग जो सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार व धर्मस्थलों की देखरेख के लिए ही होना चाहिए, पता नहीं किस हिन्दू विरोधी मद में किया जाता है|
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(३) देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए| हर धर्म के अनुयायियों के लिए अलग अलग क़ानून क्यों हैं? अल्पसंख्यक कौन है ? यह परिभाषित हो|
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(४) जाति के आधार पर हिन्दू समाज को बाँटना .... हिन्दुओं को नष्ट करना ही है|
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(१) हिन्दू अपने विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा अपने बच्चों को नहीं दे सकते| अपने विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार सिर्फ तथाकथित अल्पसंख्यकों को ही है| गुरुकुलों की पढाई को मान्यता प्राप्त नहीं है जब कि मदरसों व कॉन्वेंट की पढाई को है| सारी विकास की योजनाएँ भी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए ही बनती हैं| आज तक हिन्दुओं के कल्याण के लिए एक भी योजना नहीं बनी है|
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(२) सिर्फ हिन्दुओं के ही मंदिरों पर सरकार का अधिकार है| वहाँ आने वाले चढ़ावे का उपयोग जो सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार व धर्मस्थलों की देखरेख के लिए ही होना चाहिए, पता नहीं किस हिन्दू विरोधी मद में किया जाता है|
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(३) देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए| हर धर्म के अनुयायियों के लिए अलग अलग क़ानून क्यों हैं? अल्पसंख्यक कौन है ? यह परिभाषित हो|
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(४) जाति के आधार पर हिन्दू समाज को बाँटना .... हिन्दुओं को नष्ट करना ही है|
भारत का भविष्य सनातन धर्म पर निर्भर है, सारी पृथ्वी का भविष्य भारतवर्ष पर निर्भर है, और सृष्टि का भविष्य इस पृथ्वी के भविष्य पर निर्भर है|
ReplyDeleteइस राष्ट्र के अच्छे दिन भी आयेंगे, वह दिन दूर नहीं है| जहाँ धर्म और परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हुई हो वह राष्ट्र सदा अन्धकार और अज्ञान में नहीं रह सकता| यह ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं, व त्यागी-तपस्वियों का देश है, निश्चित रूप से शीघ्र अवश्य ही जागृत होगा|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!