Sunday 6 May 2018

ज्ञान रूपी योगाग्नि में राग-द्वेष को भस्म कैसे करें ?.....

ज्ञान रूपी योगाग्नि में राग-द्वेष को भस्म कैसे करें ?.....
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भगवान ने मनुष्य को लोभ-लालच क्यों दिया? लोभी क्यों बनाया? फिर लोभ की सजा भी तय कर दी| यह तो ऐसे है जैसे किसी को लालच देकर किसी कोने में ले जाओ और वहाँ उसकी खूब पिटाई कर दो| क्या यह पागलपन नहीं है?
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खैर ! गहराई से देखें तो जूते मारने वाला भी वह (भगवान) ही है और जूते खाने वाला भी| इसका कोई न कोई उद्देश्य तो है जो स्वयं को ही समझना होगा| अन्य कोई नहीं समझा सकता| इस मायावी संसार में आसक्ति रहित होकर कैसे जीएँ ? शायद यही समझाने की यह कठोर विधि है!
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ब्रह्म सत्य है, सदा सत्य है, प्रकृति हमें इसी का पाठ पढ़ा रही होगी? यहाँ न कोई आदि है, न मध्य, और न अंत| सब कुछ वही है, जो मैं अनुभूत कर रहा हूँ, और जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहा हूँ| सार की बात यह है कि ईश्वर से पृथकता ही हमारे सब कष्टों का कारण है| राग-द्वेष हमें ईश्वर से निरंतर दूर कर रहे हैं| ज्ञान रूपी योगाग्नि में इसे कैसे भस्म करें? तत्वज्ञानी महापुरुषों का सत्संग ही हमारी रक्षा कर सकता है| भौतिक विश्व में वे यदि नहीं मिलते तो सूक्ष्म जगत तो उनसे भरा हुआ ही है| याद करते ही वे आ जाते हैं|
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यह संसार किसी के लिए दुःखों का सागर है तो किसी के लिए सच्चिदानंद ब्रह्म| यह वाणी का विषय नहीं है| उठो और सच्चिदानंद ब्रह्म परमशिव का ध्यान करो|
ॐ गुरु ! ॐ गुरु ! ॐ गुरु ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ मई २०१८

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