Sunday 8 April 2018

हमारा निश्चयपूर्वक किया हुआ दृढ़ संकल्प राष्ट्र की रक्षा कर सकता है .....

हमारा निश्चयपूर्वक किया हुआ दृढ़ संकल्प राष्ट्र की रक्षा कर सकता है .....
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जो साधना एक व्यक्ति अपने मोक्ष के लिए करता है वो ही साधना यदि वह धर्म और राष्ट्र के अभ्युदय के लिए करे तो निश्चित रूप से उसका भी कल्याण होगा| धर्म उसी की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है| हमारा सर्वोपरि कर्त्तव्य है धर्म और राष्ट्र की रक्षा जिसे हम परमात्मा को समर्पित होकर ही कर सकते हैं| हमें अपनी साधना में ''राष्ट्र और धर्म के कल्याण के लिए'' भी संकल्प जोड़ना चाहिए| इससे हमारी साधना से एक दैवीय शक्ति का प्रादुर्भाव होगा, जो हमें ''राष्ट्रहित'' में कार्य करने के लिए हमारे ''बल और बुध्दि'' को प्रखर करेगी| आज हमें आवश्यकता है एक ब्रह्म तेज की| जो इस बात को समझते हैं वे समझते हैं, जो नहीं समझते हैं उन्हें समझाया भी नहीं जा सकता| यह कार्य हम स्वयं के लिए नहीं अपितु भगवान के लिए कर रहे हैं| मोक्ष की हमें व्यक्तिगत रूप से कोई आवश्यकता नहीं है| आत्मा तो नित्य मुक्त है, बंधन केवल भ्रम मात्र हैं| ज्ञान की गति के साथ साथ हमें भारत की आत्मा का भी विस्तार करना होगा| यह परिवर्तन बाहर से नहीं भीतर से करना होगा|
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वर्तमान में जब धर्म और राष्ट्र की अस्मिता पर मर्मान्तक प्रहार हो रहे है तब व्यक्तिगत कामना और व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु साधना उचित नहीं है| भारत की सभी समस्याओं का निदान हमारे भीतर है| एक बात ना भूलें कि भारत की आत्मा सनातन हिन्दू धर्म है| सनातन हिन्दू धर्म ही भारत की अस्मिता है| भारत का अस्तित्व ही सनातन धर्म के कारण है| सनातन धर्म ही नष्ट हो गया तो भारत भी नहीं बचेगा और यह सृष्टि भी नष्ट हो जाएगी| सनातन धर्म ही भारत है, और भारत ही सनातन धर्म है| निरंतर यह भाव रखें की आप स्वयं ही अखंड भारतवर्ष हैं और आप स्वयं ही सनातन धर्म हैं| पूरा भारत आपकी देह है जो विस्तृत होकर समस्त सृष्टि में फ़ैल गया है| आपकी हर साँस के साथ भारत का विस्तार हो रहा है, असत्य और अन्धकार की शक्तियों का नाश हो रहा है, व भारत माँ अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हो रही है| आप का संकल्प परमात्मा का संकल्प है|
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एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प भी पूरी सृष्टि की दिशा बदल सकता है, फिर आप का संकल्प तो परमात्मा का संकल्प है| आप के शिव संकल्प के सम्मुख असत्य व अन्धकार की शक्तियों का नाश हो जाएगा| भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है| भारत एक ऐसे लोगों का समूह है जिनकी अभीप्सा और ह्रदय की तड़फ ऐसे लोगों की हैं जो जीवन में पूर्णता चाहते हैं, जो अपने नित्य जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं| भारत की आत्मा आध्यात्मिक है और एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति भारत का पुनरोत्थान करेगी|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ||
कृपा शंकर
९ अप्रेल २०१२

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