Sunday 8 April 2018

अंतरतम भाव कभी व्यक्त नहीं हो सकते .....

अंतरतम भाव कभी व्यक्त नहीं हो सकते .....
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प्रिय निजात्मगण, आज अपनी जिन अनुभूतियों को मैं व्यक्त करना चाहता हूँ उन्हें व्यक्त करने का सामर्थ्य या क्षमता मुझमें नहीं है| उन्हें शब्दों का रूप नहीं दे सकता| भविष्य में भी कभी नहीं दे पाऊँगा| शब्दों की एक सीमा होती है, पर यह अनुभूति और भाव अथाह है| सामने ईश्वर का अनंत साम्राज्य है जहाँ से पीछे मुड़ कर देखना असम्भव है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०१८

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