Sunday 8 April 2018

महान बनने के लिए स्वयं को महत् तत्व यानि सर्वव्यापी परमात्मा से जुड़ना होगा ........

महान बनने के लिए स्वयं को महत् तत्व यानि सर्वव्यापी परमात्मा से जुड़ना होगा ........
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जो महत् तत्व से जुड़ी है वह आत्मा ही महात्मा है, न कि अन्य कोई| महत् तत्व से जुड़ा व्यक्ति ही महान है| महत् तत्व है परमात्मा की अनन्तता और सर्वव्यापकता| हमें परमात्मा से जुड़ कर स्वयं को महान बनना होगा| सिर्फ बातों से हम महान नहीं बन सकते| एक छोटी और एक बड़ी लकीर साथ साथ हैं| छोटी लकीर बड़ी बननी चाहे तो उसे स्वयं को बड़ी बनाना होगा| दूसरी को छोटी बनाकर बड़ी बनने का प्रयास अंतत विफल होगा| बड़ा बनने के प्रयास में कोई पंजों के बल चले तो वह बड़ा नहीं कहलायेगा, ठोकर खाकर शीघ्र ही नीचे गिरेगा| सिर्फ आत्मप्रशंसा से कोई बड़ा नहीं बन सकता| ऐसे ही दुर्भावनावश या मतान्धतावश दूसरों का गला काटकर बड़ा बनने वाले कभी बड़े नहीं बन सकते| जिस अस्त्र-शस्त्र से वे दूसरों को मारते हैं उन्हीं अस्त्र-शस्त्रों से एक दिन वे स्वयं भी मारे जायेंगे| प्रकृति उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगी| कालखंड में स्वयं ही नष्ट हो जायेंगे|
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वर्षा का जल पर्वतशिखर और तालाब पर समान रूप से ही गिरता है| यदि पर्वतशिखर का जल बहकर तालाब में आता है तो इसमें पर्वतशिखर का कोई दोष नहीं है| जो गिरा हुआ है उसे सब गिराते हैं और जो शिखर पर है उसको सब नमन करते हैं| हमें शिखर बनना होगा तभी हमारा वर्चस्व और सम्मान होगा| हमारा पतन हुआ हमारी सद्गुण विकृतियों से| जिस तरह व्यक्ति के कर्म होते हैं वैसे ही समाज और राष्ट्र के भी सामूहिक कर्म और उनके फल होते हैं जिनका परिणाम अवश्य मिलता है| ये हमारे कर्म ही थे जिनके कारण हमारा पतन हुआ और हम इतनी पीड़ाओं और कष्टों में से गुजरे हैं और हैं| हम उनसे आध्यात्मिकता द्वारा ही मुक्त हो सकते हैं| इसके लिए हमें स्वयं महान बनना होगा|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ अप्रेल २०१६

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