Friday, 9 March 2018

मैं आप का स्मरण न कर सकूँ तो आप ही मेरा स्मरण करते रहें .....

मैं आप का स्मरण न कर सकूँ तो आप ही मेरा स्मरण करते रहें .....
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हे गुरु महाराज, आप और मैं एक हैं | किसी भी तरह की साधना की अब और सामर्थ्य मुझ में नहीं रही है, मेरा यह सारा जीवन ऐसे ही नष्ट हो चुका है, सिर्फ आप का ही भरोसा है | अब तो अनुग्रह करो | मैं आपका बालक हूँ, आपका अनुग्रह ही मुझे बचा सकता है, अन्य कुछ नहीं |
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हे गुरु महाराज, मुझ अकिंचन पर अपनी परम कृपा कर के मुझे सदा याद रखें | मैं आपका स्मरण न कर सकूं तो आप ही मेरा स्मरण करते रहें | मेरी आपसे यही प्रार्थना है | मेरा सर्वस्व आपको समर्पित है |
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ॐ तत्सत् !ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ मार्च २०१८

1 comment:

  1. भगवान का स्मरण मुझ से अब और नहीं होता. प्रेमवश अब तो स्वयं भगवान ही मेरा स्मरण कर के मुझे अपनी याद दिलाते रहते हैं. उन से प्रेम का जो रोमांस और आनंद है वह अकथनीय है. भगवान ही मुझ से अब प्रेम करने लगे हैं. ॐ ॐ ॐ !!

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