Friday 9 March 2018

जो स्वयं मूर्तिपूजा को नहीं मानते उन की मूर्तियों का विध्वंश गलत नहीं है .....

कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स, (उल्यानोव) व्लादिमीर इलीइच लेनिन और जोसेफ स्टालिन की मूर्तियों का विध्वंश ..... एक शुभ संकेत है|
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जब साम्यवाद का पतन और सोवियत संघ का विघटन हुआ उस समय पूरे सोवियत संघ में साम्यवाद के उपरोक्त शिखर पुरुषों की मूर्तियों को ध्वस्त कर दिया गया था| उस समय ऐसी स्थिति थी कि सारे कौमनष्ट (साम्यवादी) लोग छिप गए थे| कोई कौमनष्ट सड़क पर मिलते तो लोग उनके कपडे फाड़ कर नग्न कर देते थे|
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अपनी युवावस्था में ७ नवम्बर १९६७ को मैनें रूस में बोल्शेविक अक्टूबर क्रांति की पचासवीं वर्षगाँठ का उत्सव वहाँ रहते हुए देखा था| उस समय साम्यवाद अपने चरम शिखर पर था| कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि साम्यवाद का दुर्ग अगले बाईस वर्षों में टूट कर बिखर जाएगा| उसके बाद साम्यवाद के पतन के दिनों की शुरुआत भी मैनें देखी थी| पूर्व सोवियत संघ के देशों में ही नहीं, पूर्व वारसा संधि के देशों में भी उपरोक्त व्यक्तियों की मूर्तियों को ध्वस्त कर दिया गया था| अतः भारत में भी लेनिन की मूर्ति का ध्वस्त होना एक सामान्य प्रक्रिया ही है| इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए|
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कोई लेनिन भक्त यह तो बताये कि लेनिन के जीवन में ऐसा क्या आदर्श था जिस से भारत को,प्रेरणा मिल सकती है ?
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हाँ, वे एक बहुत अच्छे छात्रनेता, वकील, बुद्धिमान विद्वान् लेखक, क्रांतिकारी संगठनकर्ता, श्रमिक सर्वहारा वर्ग के हित चिन्तक, पत्रकार और अति प्रभावशाली वक्ता अवश्य थे जिनके उत्साह को कोई भी परिस्थिति दबा नहीं पाई| उनकी पत्नी नदेज्दा क्रुप्सकाया भी बड़े जीवट की महिला थी| लेनिन के बड़े भाई अलेग्जांदर को ज़ार की हत्या का षडयंत्र रचने में शरीक होने के आरोप में फाँसी दे दी गई थी इसी लिए वे विद्रोही बने|
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उनका जन्म २२ अप्रेल १८७० को सिम्बिर्स्क में हुआ, और ५३ साल की आयु में २१ जनवरी १९२४ को गोर्की में निधन हुआ| उनकी पत्नी नदेज्दा क्रुप्सकाया का निधन २७ फरवरी १९३९ को हुआ| लेनिन के तेज़ दिमाग के कारण ही १९१७ में विश्व की प्रथम मार्क्सवादी साम्यवादी सत्ता की रूस में स्थापना हुई और उनके तेज़ दिमाग के कारण ही सोवियत संघ बना|
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पर ऐसा कोई कारण नहीं है कि वे भारतवर्ष में एक आदर्श व्यक्ति माने जाएँ| कुल मिलाकर साम्यवादी सत्ता एक आसुरी सता थी और ये सब लोग उसी असुरत्व के उपकरण थे| धन्यवाद !
कृपा शंकर
६ मार्च २०१८
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पुनश्चः :---
रूस की वर्तमान सरकार के समय में जो लेनिन की जीवनी लिखी गयी है उसमें लेनिन के चरित्र की कुछ कमियाँ भी बताई हैं, जैसे लेनिन को अच्छी शराब का शौक था और लेनिन परस्त्रीगामी भी था| पर रूस में ये सामान्य बातें हैं| कोई इन्हें बुरा नहीं मानता|

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