परमात्मा माता है या पिता ? ......
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परमात्मा साकार भी है और निराकार भी| सारे रूप उसी के हैं| वैसे तो जो भी सृष्ट हुआ है वह साकार ही है, कुछ भी निराकार नहीं है| सर्वसामान्य साकार रूप तो ओंकार का यानि "ॐ" की ध्वनी है| ध्यान में दिखाई देने वाली ज्योति भी साकार है, परमात्मा की सर्वव्यापकता भी साकार है, और प्रणव नाद भी साकार है|
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परमात्मा की जगन्माता की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है| जगन्माता के रूप में परमात्मा सर्वाधिक प्रेममय है यानि उसमें प्रेम की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हो सकती है| माँ से जितना प्रेम प्राप्त हो सकता है, उतना पिता से नहीं| अतः परमात्मा सर्वप्रथम माता है, फिर पिता| परमात्मा के मातृरूप की परिकल्पना ही सर्वश्रेष्ठ है|
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परमात्मा साकार भी है और निराकार भी| सारे रूप उसी के हैं| वैसे तो जो भी सृष्ट हुआ है वह साकार ही है, कुछ भी निराकार नहीं है| सर्वसामान्य साकार रूप तो ओंकार का यानि "ॐ" की ध्वनी है| ध्यान में दिखाई देने वाली ज्योति भी साकार है, परमात्मा की सर्वव्यापकता भी साकार है, और प्रणव नाद भी साकार है|
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परमात्मा की जगन्माता की परिकल्पना सर्वश्रेष्ठ है| जगन्माता के रूप में परमात्मा सर्वाधिक प्रेममय है यानि उसमें प्रेम की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हो सकती है| माँ से जितना प्रेम प्राप्त हो सकता है, उतना पिता से नहीं| अतः परमात्मा सर्वप्रथम माता है, फिर पिता| परमात्मा के मातृरूप की परिकल्पना ही सर्वश्रेष्ठ है|
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ॐ ॐ ॐ ||
ॐ ॐ ॐ ||
माँ, तुम्हारे चरण कमलों में आश्रय मिलने के उपरांत सब कुछ मिल गया है| समस्त पूर्णता तुम्हारे चरण कमलों में है| उससे बाहर कुछ भी नहीं है| ॐ ॐ ॐ ||
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