योगदा के सिर्फ चार ही गुरू हैं ---- महावतार बाबाजी, श्री श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय, स्वामी श्री युक्तेश्वर जी और परमहंस योगानन्दजी|
भगवान श्री कृष्ण तों साक्षात भगवान हैं|
जीसस क्राइस्ट तों ऊपर से थोपे हुए हैं| वे किसी भी रूप मे गुरू नहीं हैं|
योगदा सत्संग को कुटिलता से सेल्फ रिअलाएज़शन फेलोशिप चर्च ने खरीद लिया धीरे धीरे ईसाईयत थोप रहे हैं| यहाँ के मालिक अमेरिकन लोग हैं|
Tanuja Thakurभगवान श्री कृष्ण तों साक्षात भगवान हैं|
जीसस क्राइस्ट तों ऊपर से थोपे हुए हैं| वे किसी भी रूप मे गुरू नहीं हैं|
योगदा सत्संग को कुटिलता से सेल्फ रिअलाएज़शन फेलोशिप चर्च ने खरीद लिया धीरे धीरे ईसाईयत थोप रहे हैं| यहाँ के मालिक अमेरिकन लोग हैं|
The answer is very simple the saint was given the mission to preach in the west , so just to impress the christain folk there , he went for a psychological appeasement and told about the teachings of bible and kept the photograph of Jesus but he tried to teach all the those western people who came to learn sadhana about vedic sanatan dharm , hence he gave them bhartiya attire ,asked them to read sanskrut , but alas his dsiciples could not understand the implied meaning of the master's action and now that organisation is more like a christian misssionary with no spiritual base !
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