Friday, 3 March 2017

अनिष्ट शक्तियों का कष्ट और उन से निवृति .....

अनिष्ट शक्तियों का कष्ट और उन से निवृति .....
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सूक्ष्म जगत में अनेक शुभ देवात्माएँ हैं और अशुभ आसुरी आत्माएँ भी| देवात्माएँ हमारी निरंतर सहायता करती हैं पर असुरात्माएँ हमारा निरंतर अनिष्ट करती रहती हैं| अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से आज संपूर्ण मानव जाति पीड़ित है| इनके कारण आजकल ..... अवसाद, आत्महत्या के विचार, अत्यधिक क्रोध, उन्मादग्रस्तता, अत्यधिक वासनात्मक विचार, अनिद्रा, अतिनिद्रा, शारीरिक कष्ट, अशांत मन, जीवन में विफलता, गृह क्लेश, गर्भपात, आर्थिक हानि, वंशानुगत रोग, व्यसन, दुर्घटना, बलात्कार, यौन रोग, समलैंगिकता आदि आदि लगातार बढ़ रहे हैं|
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अत्यधिक भोगविलास में रत मनुष्य अति शीघ्र आसुरी शक्तियों के प्रभाव में आकर उनके उपकरण बन जाते हैं| वे सदा दूसरों को कष्ट देते हैं और परपीड़ा में आनंदित होते हैं| दुष्ट और क्रूर प्रकृति के लोग निश्चित रूप से आसुरी जगत के शिकार हैं| अंततः इनका जीवन बड़ा कष्टमय होता है|
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जो आध्यात्मिक साधक हैं उन्हें तो ये आसुरी आत्माएँ अत्यधिक कष्ट देती हैं| ये नहीं चाहतीं कि कोई आध्यात्मिक उन्नति करे| ये ही विक्षेप उत्पन्न कर साधकों को साधना मार्ग से विमुख करने का प्रयास करती रहती हैं| घर परिवार के किसी सदस्य को अपना शिकार बना कर ये उसके माध्यम से साधकों को परेशान करती हैं|
साधू-संतों को भी ये परेशान करने के प्रयास में रहती हैं| पर साधू-संतों की दृढ़ता के समक्ष उनका ये कुछ बिगाड़ नहीं पातीं| फिर भी अनेक साधुओं को ये भ्रष्ट कर देती हैं|
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अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए हमें निम्न उपाय करने चाहियें .....

(१) कुसंग त्याग कर सिर्फ सकारात्मक लोगों के साथ सत्संग करें| नियमित साधना दृढ़ता से करें| हर समय परमात्मा का चिंतन करें| सब से बड़ी बात है परमात्मा में दृढ़ आस्था| अपनी रक्षा हेतु परमात्मा से सदा प्रार्थना करें|
(२) सादा जीवन, उच्च विचार| वेषभूषा भारतीय संस्कृति के अनुकूल हो| घर का वातावरण पूर्णतः सात्विक रखें|
(३) हर तरह के नशे का पूर्णतः त्याग|
(४) सात्विक भोजन करें| जो भगवान को प्रिय है वो ही भोजन, भगवान को निवेदित कर के ही ग्रहण करें|
(५) नियमित दिनचर्या हो|
(६) घर को साफ़-सुथरा रखें| अनेक लोग घरों में आँगन को देशी गाय के गोबर से लीपते हैं, उन घरों में अनिष्ट आत्माएँ प्रवेश नहीं कर पातीं| जहाँ ऐसा करना संभव न हो वहाँ पानी में देशी गाय का थोड़ा सा मुत्र मिलाकर नित्य पोचा लगाएँ|
घर में तुलसी के पौधें खूब लगाएँ| संभव हो तो घर में एक देशी गाय रखें और उसकी खूब सेवा करें|
(७) भगवान ने हमें विवेक दिया है| निज विवेक के प्रकाश में सारे कार्य परमात्मा की प्रसन्नता के लिए ही करें| परमात्मा हमारी बुद्धि को तदानुसार प्रेरित करेंगे| तब जो भी होगा वह हमारे भले के लिए ही होगा|
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सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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