मैं स्वयं ही समस्या हूँ और समाधान भी मैं स्वयं ही हूँ .......
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एक बार देहरादून में अपने पूर्व परिचित, हिमालय के एक परम सिद्ध योगी महात्मा से बातचीत हो रही थी| अब तो वे भौतिक देह में नहीं हैं| मैंने उनसे अपनी एक बहुत बड़ी व्यक्तिगत समस्या की चर्चा करनी चाही तो उन्होंने मुझे चुप करते हुए एक बड़ी अच्छी बात कही जिसका सार यह था कि मेरी कोई समस्या नहीं है, मैं स्वयं ही समस्या हूँ|
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उनके सत्संग से एक बात बहुत अच्छी तरह समझ में आ गयी कि आध्यात्मिक दृष्टी से मनुष्य की प्रथम, अंतिम और एकमात्र समस्या परमात्मा को उपलब्ध होना यानि समर्पित होना ही है| इसके अतिरिक्त अन्य कोई समस्या है ही नहीं| अन्य सब समस्याएँ परमात्मा की हैं|
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एक बार देहरादून में अपने पूर्व परिचित, हिमालय के एक परम सिद्ध योगी महात्मा से बातचीत हो रही थी| अब तो वे भौतिक देह में नहीं हैं| मैंने उनसे अपनी एक बहुत बड़ी व्यक्तिगत समस्या की चर्चा करनी चाही तो उन्होंने मुझे चुप करते हुए एक बड़ी अच्छी बात कही जिसका सार यह था कि मेरी कोई समस्या नहीं है, मैं स्वयं ही समस्या हूँ|
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उनके सत्संग से एक बात बहुत अच्छी तरह समझ में आ गयी कि आध्यात्मिक दृष्टी से मनुष्य की प्रथम, अंतिम और एकमात्र समस्या परमात्मा को उपलब्ध होना यानि समर्पित होना ही है| इसके अतिरिक्त अन्य कोई समस्या है ही नहीं| अन्य सब समस्याएँ परमात्मा की हैं|
परमात्मा की प्राप्ति के अतिरिक्त मनुष्य की अन्य कोई समस्या है ही नहीं|
सब समस्याओं का समाधान भी परमात्मा को प्राप्त करना ही है, जिसका एकमात्र
मार्ग है परम प्रेम और मुमुक्षुत्व यानि 'उसको' पाने कि एक गहन अभीप्सा|
अपनी चेतना को भ्रूमध्य से ऊपर रखो और निरंतर परमात्मा का चिंतन करो| फिर आपकी चिंता स्वयँ परमात्मा करेंगे|
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जीवन में खूब धक्के खाकर यानि खूब खट्टे-मीठे हर तरह के अनेक अनुभवों से निकल कर मैं भी इसी परिणाम पर पहुँचा हूँ| जीवन में मैं कैसे कैसे और कौन कौन से अनुभवों से मैं निकला हूँ इसका कोई महत्व नहीं है| महत्व सिर्फ इसी बात का है कि मैं उनसे क्या बना हूँ|
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आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन |
ॐ . गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ ||
अपनी चेतना को भ्रूमध्य से ऊपर रखो और निरंतर परमात्मा का चिंतन करो| फिर आपकी चिंता स्वयँ परमात्मा करेंगे|
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जीवन में खूब धक्के खाकर यानि खूब खट्टे-मीठे हर तरह के अनेक अनुभवों से निकल कर मैं भी इसी परिणाम पर पहुँचा हूँ| जीवन में मैं कैसे कैसे और कौन कौन से अनुभवों से मैं निकला हूँ इसका कोई महत्व नहीं है| महत्व सिर्फ इसी बात का है कि मैं उनसे क्या बना हूँ|
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आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन |
ॐ . गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ ||
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