Friday, 17 February 2017

भक्ति का उदय एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ......

भक्ति का उदय एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ......
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मनुष्य के हृदय में भगवान की भक्ति का उदय एक स्वाभाविक प्रक्रिया है| यह जितनी शीघ्र घटित हो जाए उतना ही अच्छा है| यह कई जन्मों में जाकर धीरे धीरे घटित होती है| मनुष्य संसार में सुखों की खोज करता है पर उसे निराशा ही मिलती है| सब सुखों को अंततः वह विष मिले हुए मधु की तरह ही पाता है| सब ओर से निराश होकर अंततः वह भगवान की ओर उन्मुख होता है|

जिस तरह शिक्षा में क्रम होते हैं वैसे ही भक्ति में भी क्रम होते हैं| एक बालक चौथी में है, एक दसवीं में है, एक स्नातक है, सबकी समझ का अंतर अलग अलग होता है, वैसे ही साधना और भक्ति में भी क्रम हैं|
एक सद्गुरु ही बता सकता है किस साधक के लिए कौन सी साधना उपयुक्त है| भगवान भी हर निष्ठावान को सही मार्ग दिखाते हैं|

मैं सनातन धर्म के सभी सम्प्रदायों का सम्मान करता हूँ| हर सम्प्रदाय के दर्शन में गहराई है और हर सम्प्रदाय में एक से बढकर एक अच्छे अच्छे संत और विद्वान् हैं| सभी का सम्मान हमें करना चाहिए| जो बलात् अपना मत औरों पर थोपते हैं वे धार्मिक नहीं, अपितु असुर राक्षस हैं|

आध्यात्मिक प्रगति का एकमात्र मापदंड यही है कि यदि हम बीते हुए कल की अपेक्षा आज अधिक आनंदमय हैं तो प्रगति कर रहे हैं, अन्यथा नहीं|

परमात्मा के प्रति अहैतुकी (Unconditional) परम प्रेम का उदय मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धी है| आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन | ॐ ॐ ॐ ||

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