Saturday 24 December 2016

इस जीवन को धन्यवाद ! इस संसार को भी धन्यवाद ! .....

इस जीवन को धन्यवाद ! इस संसार को भी धन्यवाद ! .....
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अब जब मैं विगत जीवन का अवलोकन करता हूँ तो पाता हूँ कि इस जीवन को वास्तव में तो परमात्मा ने ही जीया है| मैं तो सदा एक निमित्त मात्र ही था और अब भी हूँ|
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अच्छा या बुरा जैसा भी जो भी जीवन बीता, वह परमात्मा के मन का एक विचार मात्र ही था| जिसने जब भी, जैसा भी व्यवहार मेरे साथ किया वह प्रत्यक्ष रूप से परमात्मा के साथ ही किया| मेरे साथ जिसने भी, जैसे भी, जितने भी जीवन के जितने भी पल बिताए, वे परमात्मा के साथ ही बिताए|
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वैसे ही मेरा भी एकमात्र व्यवहार सिर्फ परमात्मा के साथ ही था| इस जीवन में परमात्मा के सिवा अन्य कुछ भी नहीं था|
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अतः उन सब दिव्यात्माओं को मैं धन्यवाद देता हूँ जो मेरे जीवन में आईं| पता नहीं कितने जीवन जीए हैं, कितनी बार मरे हैं और जन्में हैं, वे सब भी परमात्मा की ही अभिव्यक्तियाँ थीं|
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अतः मैं इस जीवन को धन्यवाद देता हूँ| हे जीवन, तुमने परमात्मा को बहुत अच्छी तरह से जीया है| तुम्हारी हर साँस, हर पल प्रियतम परमात्मा का ही था|
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इस संसार को, इस सृष्टि को भी धन्यवाद देता हूँ जिसने परमात्मा को अपनी समग्रता में व्यक्त किया|
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रात्री के सन्नाटे में जब घर के सब लोग सोए हुए हों तब उठकर चुपचाप शांति से भगवान का ध्यान/जप आदि करें| न तो किसी को बताएँ और न किसी से इस बारे में कोई चर्चा करें| निश्चित रूप से आपको परमात्मा की अनुभूति होगी| किसी भी तरह के वाद-विवाद आदि में न पड़ें| हमारा लक्ष्य वाद-विवाद नहीं है, हमारा लक्ष्य परमात्मा को समर्पण है|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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