Saturday 24 December 2016

क्रिसमस पर पठनीय एक विशेष लेख .....

क्रिसमस पर पठनीय एक विशेष लेख .....
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आज से दो हज़ार वर्ष पूर्व कल्पना कीजिये कि विश्व में कितना अज्ञान और अन्धकार था| वह एक ऐसा समय था जब भारतवर्ष में ही वैदिक धर्म का ह्रास हो गया था तब भारत से बाहर तो कितना अज्ञान रहा होगा ! वैदिक मत के स्थान पर बौद्ध मत प्रचलित हो गया था, जिसमें भी अनेक विकृतियाँ आ रही थीं| भारतवर्ष में वामाचार का प्रचलन बढ़ गया था और अधिकाँश लोगों के लिए इन्द्रीय सुखों की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य रह गयी थी|
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उस समय के फिलिस्तीन की कल्पना कीजिये जो वास्तव में एक परम अज्ञान और घोर अन्धकार का केंद्र था| वहाँ कोई पढाई-लिखाई नहीं थी| कहीं भी आने जाने के लिए लोग गधे की सवारी करते थे| लोग रोमन साम्राज्य के दास थे| रोमन साम्राज्य का एकमात्र ध्येय भोग-विलास और इन्द्रीय सुखों की प्राप्ती था|
आप वर्त्तमान में ही फिलिस्तीन की स्थिति देख लीजिये| जो लोग उस क्षेत्र में गए हैं वे कह सकते हैं, और मैं भी मेरे अनुभव से कह रहा हूँ कि वह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ के बारे में कुछ भी प्रशंसनीय नहीं है| यही हालत आज पूरे अरब विश्व की है|
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उस समय एक ईश्वरीय चेतना ने वहाँ फिलिस्तीन के बैथलहम में जन्म लिया जिसे समझने वाला वहाँ कोई नहीं था| वह चेतना भारत में आकर पल्लवित हुई और बापस अपने देश फिलिस्तीन गयी जहाँ उसे सूली पर चढ़ा दिया गया| बच कर वह चेतना भारत आई और यहीं की होकर रह गयी|
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उस दिव्य चेतना के नाम पर एक मत चला जिसने पूरे विश्व में क्रूरतम हिंसा और अत्याचार किया| भारत में भी सबसे अधिक अति घोर अत्याचार और आतंक उस मत ने फैलाया और अभी भी फैला रहा है|
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देखा जाए तो उनके वर्त्तमान चर्चवादी मत और उनके मध्य कोई सम्बन्ध नहीं है| उन की मूल शिक्षाएं काल चक्र में लुप्त हो गयी हैं|
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मेरे सभी मित्रों को जो ईसाई मतावलंबी हैं या ईसा मसीह में आस्था रखते हैं उनको यह कहना चाहता हूँ कि .....

>>> आप लोग अपने मत में आस्था रखो पर पर हमारे गरीब और लाचार हिंदुओं का धर्मांतरण यानि मत परिवर्तन मत करो, व हमारे साधू-संतों को प्रताड़ित मत करो|
आप लोग हमारे सनातन धर्म की निंदा और हम पर झूठे दोषारोपण मत करो| आप लोगों ने भारतवर्ष और हम हिन्दुओं को इतना अधिक बदनाम किया है और हमारे ऊपर इतना अत्याचार किया है कि यदि हम पूरे विश्व का कीचड भी तुम्हारे ऊपर फेंकें तो वह भी कम पडेगा|
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उन सब को क्रिसमस की शुभ कामनाएँ| उनको मैं यह निवेदन करता हूँ .....
क्राइस्ट एक चेतना है -- कृष्ण चेतना| आप उस चेतना में रहो| ईश्वर को प्राप्त करना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है|
आप भी ईश्वर की संतान हो|
आप जन्म से पापी नहीं हो| आप अमृतपुत्र हैं| मनुष्य को पापी कहना सबसे बड़ा पाप है|
अपने पूर्ण ह्रदय से परमात्मा को प्यार करो, सर्वप्रथम ईश्वर का साम्राज्य ढूँढो अर्थात ईश्वर का साक्षात्कार करो फिर तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
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नववर्ष के बारे में ....
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काल अनन्त है, आध्यात्मिक मानव के लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष है .....
जनवरी १, नववर्ष नहीं है।
कृपया मुझे ग्रेगोरियन पंचांग के नववर्ष १ जनवरी को नव वर्ष की शुभ कामनाएँ ना भेजें| मैं चैत्र प्रतिपदा को ही नववर्ष मनाता हूँ|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

2 comments:

  1. मासानां मार्गशीर्षोऽहं-मार्गशीर्ष में उत्तरी गोलार्ध में सबसे बडी रात होती है, अतः इसे कृष्ण मास कहते हैं। कृष्ण मास का क्रिसमस हो गया है। इसके बाद दिनमान बढना शुरू होता है अतः इसइससे दिव्य दिन आरम्भ होता है। दिवस के प्रकाशित भागको दिन कहते हैं। इसी प्रकार दिव्य दिन का प्रथम भाग जब सूर्य की उत्तर गति होती, दिन है। दिव्य दिन का लौकिक नाम बडा दिन है। इस समय सबसे बडी रित होने से पाचन धीमा होता है और सात्विक भोजन होना चाहिए। साभार : श्री अरुण उपाध्याय

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  2. क्रिसमस पर भगवान की भक्ति करने के लिए शराब पी कर, टर्की (एक प्रकार की बतख) का मांस खाकर, और नाच गा कर उत्सव मनाना भारत की परम्परा नहीं है| यह मूल रूप से स्पेन और पुर्तगाल की परम्परा है जो आजकल भारत में खूब प्रचलित हो गयी है|
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    भगवान की भक्ति एकांत में मन लगाकर होती है| सार्वजनिक रूप से करनी है तो भजन-कीर्तन व सामूहिक ध्यान द्वारा होती है| उसमें कोई नशा कर के नाच-गाना नहीं होता| नशे में नाचना-गाना एक मानसिक मनोरंजन मात्र है, कोई भक्ति नहीं|
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    मैंने दो-तीन बार ऐसे निष्ठावान, जन्म से क्रिस्चियन, विदेशी भक्तों के साथ भी क्रिसमस मनाई है जिन्होनें पूरी रात भगवान का ध्यान किया और भजन गाये| कोई नशा नहीं, कोई मांसाहार नहीं| ऐसे लोग भी होते हैं|

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