काल अनन्त है, आध्यात्मिक मानव के लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष है .....
कृपया मुझे ग्रेगोरियन पंचांग के नववर्ष १ जनवरी को नव वर्ष की शुभ कामनाएँ ना भेजें|
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क्रिसमस यानि जीसस क्राइस्ट के जन्मदिवस पर शुभ कामनाएँ स्वीकार्य हैं क्योंकि जीसस क्राइस्ट ने भारत में अध्ययन कर सनातन धर्म की शिक्षाओं का ही फिलिस्तीन में प्रचार प्रसार किया था| उन्होंने अपना देह त्याग भी फिलिस्तीन से भारत आकर भारत में ही किया|
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कालान्तर में उनके नाम पर फैला मत घोर हिन्दू विरोधी हो गया और पूरे विश्व में उनके नाम पर क्रूरतम हिंसा और अत्याचार हुए| वर्तमान में उनके नाम पर फैले हुए मत का उनसे कोई सम्बन्ध नहीं है|
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उनकी मुख्य शिक्षा यह थी कि परमात्मा को पूर्ण ह्रदय से प्रेम करो| सर्वप्रथम ईश्वर का साम्राज्य ढूँढो अर्थात ईश्वर का साक्षात्कार करो फिर तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
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उनकी मूल शिक्षाएँ लुप्त हो गयी हैं|
ज्ञानिक दृष्टिकोण से और भारत की गौरवपूर्ण परम वैभवशाली परम्परानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही नववर्ष का प्रारम्भ है|
ReplyDeleteइसका प्रारंभ जगन्माता की आराधना से होता है| भगवान श्री राम की आराधना भी इस समय होती है|
आज के ही दिन इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की, भगवन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ, बहुत सारी अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुईं और २०७० वर्ष पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने हूण और शक आक्रमणकारियों को पराजित कर उन्हें सनातन धर्म में आत्मसात किया|
महाराज विक्रमादित्य का राज्य वर्तमान ईरान, अरब और तुर्की तक था| ईरान में उनकी एक मूर्ती मिली थी जिस में वे धोती पहिने भारतीय वेश-भूषा में एक घोड़े पर सवार हैं| कुछ इतिहासकार कहते हैं कि उनका निधन भी ईरान में हुआ| इराक और तुर्की की कुर्द जाति उनके भारतीय कृत सैनिकों की ही वंशज है| उनका समय भारत का गौरवशाली युग था|
मैं अपने पूर्ण ह्रदय से अपने सभी मित्रों और पाठकों को नव वर्ष की शुभ कामनाएँ और मेरा नमस्कार प्रेषित करता हूँ| अपने स्नेह और आशीर्वाद की कृपा मुझ जैसे अकिंचन स्नेहाभिलाषी पर करते रहें|