भारतवर्ष में मनुष्य देह में जन्म लेकर भी यदि कोई भगवान की भक्ति ना करे तो वह अभागा है| धिक्कार है ऐसे मनुष्य को|
भगवान के प्रति भक्ति यानि परम प्रेम, समर्पण और समष्टि के कल्याण की अवधारणा भारत की ही देन है| सनातन धर्म का आधार भी यही है|
पहले निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करो, उसके उपकरण बनो, परमात्मा को ही कर्ता बनाओ, फिर जीवन के सारे कार्य श्रेष्ठतम ही होंगे|
परमात्मा को पूर्ण ह्रदय से प्रेम करो| सर्वप्रथम ईश्वर का साक्षात्कार करो फिर तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
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ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
भगवान के प्रति भक्ति यानि परम प्रेम, समर्पण और समष्टि के कल्याण की अवधारणा भारत की ही देन है| सनातन धर्म का आधार भी यही है|
पहले निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करो, उसके उपकरण बनो, परमात्मा को ही कर्ता बनाओ, फिर जीवन के सारे कार्य श्रेष्ठतम ही होंगे|
परमात्मा को पूर्ण ह्रदय से प्रेम करो| सर्वप्रथम ईश्वर का साक्षात्कार करो फिर तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
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ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
जिस देश में घोर नास्तिक साम्यवाद का जन्म हुआ उस देश रूस में साम्यवाद तो समाप्त हो गया पर सनातन हिन्दू धर्म की अनेक शाखाएँ वहाँ फ़ैल रही हैं|
ReplyDeleteरूस की सेना में भी अब योग सिखाया जाता है| वह देश जो अभी कुछ वर्षों पूर्व तक घोर नास्तिक था, जहाँ भगवान का नाम लेते ही कारागृह में बंदी बना लिया जाता था, उस देश में सनातन हिन्दू धर्म बहुत तीब्रता से फ़ैल रहा है|
क्या भारत के कम्युनिष्ट और सेकुलर धर्मनिरपेक्ष इससे कुछ सीखेंगे?